कोरोना संकट के बीच राहत: जानिए कहां ठीक हुए कितने मरीज...कौन-सी दवा से हो रहा इलाज

punjabkesari.in Friday, Mar 27, 2020 - 01:55 PM (IST)

नेशनल डेस्कः दुनियाभर में कोरोना वायरस से हाहाकार मचा हुआ है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में भी कोरोना वायरस धीरे-धीरे पैर पसार रहा है। भारत में अब तक 694 मामले सामने आए हैं और 16 लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्र और राज्य सरकारें युद्ध स्तर पर इस वायरस से लड़ रही हैं। भारत 21 दिन के लिए लॉकडाउन है। कोरोना को लेकर तनावभरी खबरों के बीच जो राहत देने वाली खबर है वो यह कि दुनियाभर में जहां संक्रमित  मरीजों की संख्या ज्यादा है वहीं कई लोग ठीक भी हुए हैं और उन पर कई दवाएं असर कर रही हैं। इतना ही नहीं भारत समेत दुनियाभर के हर देश ने अपने लोगों को बचाने के लिए हरसंभव तैयारियां कर रखी हैं। 

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कोरोना वायरस से जुड़ा हर Update
ठीक हुए मरीज
भारत में अब तक कोरोना के कई मरीज ठीक भी हो चुके हैं। भारत में 67 कोरोना के मरीज ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। यह आंकड़ा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। कोरोना वायरस जहां से शुरु हुआ हैरानी जल्द ही ठीक हो गए। चीन में 74,588 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि अमेरिका 1868 संक्रमित मरीज ठीक हुए। स्पेन में 7,015 मरीज ठूक हुए है तो जर्मनी में 5,673 लोग ठीक हो चुके हैं। 

 

भारत की सिप्ला कंपनी दवा बनाने में जुटी
चीन और अमेरिका समेत भारत भी कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटा हुआ है। भारत में जानी मानी कंपनी सिप्ला 6 महीने में कोरोना की दवा पेश कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो वायरस की दवा बनाने वाली सिप्ला भारत की पहली कंपनी होगी। वहीं  फ्रांस में वैक्सीन बनाने और उससे 6 दिन में संक्रमित इंसान के ठीक होने का दावा किया गया है, मगर उसका टेस्ट अभी बाकी है। चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस ने कोरोना की वैक्सीन बना ली है, लेकिन उसके ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स की तलाश है। अमेरिका ने जर्मनी की फर्म CureVac को अमेरिका में दवा बनाने का न्योता दिया है। कई अमेरिकी वैज्ञानिक भी इस काम में जुटे हैं।  जर्मनी में BioNTech कंपनी में वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब पहुंच गए हैं।

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कोरोना के इलाज में 7 मेडिसिन कारगर

कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक हालांकि टीके और दवा की खोज में लगे हुए हैं। इस बीच राहत की खबर यह है कि पहले से मौजूद दूसरी बीमारियों की सात दवाएं इस कोरोना के उपचार में फायदेमंद पाई गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दवाओं के भी विस्तृत परीक्षण शुरू कर दिए हैं। इनमें से दो दवाओं को इस्तेमाल करने की सलाह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी डॉक्टरों को दी है।

  • 'इंटनेशनल जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबियल एजेंट' में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन के साथ एक एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन देने से कोविड का तेज इलाज हो रहा है। शोध में पाया गया है कि क्लोरोक्वीन से छह दिन में कोविड-19 के मरीज ठीक हो रहे हैं। तुलना उन मरीजों से की गई, जिन्हें अन्य दवाएं दी गई।
  •  क्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने से परिणाम और बेहतर हैं। 
  • ICMR ने जिन दो एंटी रेट्रो वायरल दवाओं को आजमाने की सिफारिश की है उनमें लोपिनावीर तथा रिटोनावीर दवाएं हैं। ये एचआईवी/एड्स के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। चीन, भारत समेत कई देशों में कोविड रोगियों पर ये दवाएं आजमाई जा चुकी हैं और इससे फायदा भी हुआ है। 
  • कोरोना के इलाज में अब तक सबसे ज्यादा असरदार जापानी फ्लू की दवा फविप्रिरावीर। इसे कोविड के मरीज रिकॉर्ड चार दिन में ठीक हुए हैं। 
  • ईबोला की दवा रेमडेसीवीर भी कोविड में प्रभावी रही है। यह दवा सार्स और मर्स बीमारियों में भी कारगर रही थी। 
  • कुछ देशों में बर्ड फ्लू की दवा टेमिफ्लू को लेकर भी अच्छे नतीजे आए हैं।

इन सात दवाओं को ज्यादातर देशों में अस्पतालों में सीमित इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इन्हें अभी आधिकारिक रूप से दवा घोषित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए लंबे समय तक और हजारों मरीजों पर विश्व भर में परीक्षण करने होंगे। डब्ल्यूएचओ ने इसकी पहल शुरू की है।

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जल्द खत्म होगा कोरोना का असर
कोरोना से जहां पूरी दुनिया डरी हुई है और करोड़ों लोग घर के अंदर कैद होने को मजबूर हो गए हैं, वहीं साल 2013 में रसायन शास्त्र का नोबल पुरस्कार जीतने वाले माइकल लेविट उम्मीद की एक किरण दिखाते हुए कहा कि जिस तरह से कई विशेषज्ञ कोरोना के भयावह होने का अनुमान जता रहे हैं, वास्तव में ऐसा नहीं होगा। कोरोना वायरस से जितना बुरा होना था, वह हो चुका है और अब धीरे-धीरे हालात सुधरेंगे। उनका बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने चीन में कोरोना वायरस से उबरने को लेकर जो भविष्यवाणी की थी वो सही साबित हुई। चीन ने जल्द ही हालात पर काबू पा लिया था। दुनिया के अनुमान से उलट चीन जल्द ही अपने पैरों पर फिर से उठकर खड़ा हो गया। दो महीने के लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत भी खुलने वाला है।

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भारतीय सेना तैयार
कोरोना से युद्ध के लिए भारतीय सेना ने भी तैयारियां कर रखी हैं। आर्मी चीफ एम.एम नरवणे ने बताया कि अगर उनको कोई ऑर्डर दिए जाते हैं तो उन्होंने इतनी तैयारी कर रखी है कि 6 घंटे में वो आइसोलेशन वार्ड और आईसीयू बना सकते हैं।


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Seema Sharma

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