वित्तीय बाजारों के अधिक पेशेवर विनियमन और सेबी में आमूलचूल बदलाव की जरूरत : कांग्रेस

punjabkesari.in Thursday, Feb 20, 2025 - 01:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस पार्टी ने बृहस्पतिवार को भारतीय वित्तीय बाजारों के पेशेवर विनियमन की आवश्यकता को लेकर गंभीर चिंता जताई और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) में आमूलचूल बदलाव करने की अपील की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इस संबंध में एक खबर को साझा करते हुए बताया कि कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और प्रमुख उदय कोटक ने हाल ही में कहा था कि अति-वित्तीयकरण भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकता है।

रमेश ने अपनी पोस्ट में लिखा, "भारत का शेयर बाजार पूंजीकरण वर्तमान में इसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 140 प्रतिशत है।" उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय क्षेत्र की बढ़ती लाभप्रदता और उच्च स्तर पर पहुंचने वाले बाजार पूंजीकरण की बारीकी से जांच किए जाने की आवश्यकता है। 2 सितंबर, 2024 को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस संबंध में चेतावनी दी थी कि जब बाजार अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है, तो यह न केवल आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि सार्वजनिक चर्चा और नीति निर्माण को भी प्रभावित कर सकता है। उनका यह भी कहना था कि यह स्थिति स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बाजार के विचारों का प्रभाव सार्वजनिक बहस और नीति पर अधिक बढ़ जाए।

रमेश के अनुसार, अब यह चेतावनी वित्तीय क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तित्व, उदय कोटक ने भी दी है। कोटक ने कहा कि अति-वित्तीयकरण से निवेशक बिना सही मूल्यांकन के अपनी बचत को शेयर बाजार में निवेश करने लगते हैं, जिससे लंबे समय में आर्थिक नुकसान हो सकता है। इस स्थिति को लेकर जयराम रमेश ने इसे भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए खतरे के रूप में देखा है। कांग्रेस नेता ने इस संदर्भ में आगे कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को वित्तीय क्षेत्र में एक मजबूत और पेशेवर विनियमन की आवश्यकता है। उन्हें विश्वास है कि SEBI को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए संस्थागत सुधार किए जाने चाहिए।

रमेश ने यह भी कहा कि भारत के लिए वैश्विक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक जगह बनाने के लिए हमें तकनीकी दृष्टिकोण से भी अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, "अभी भी देर नहीं हुई है और हमें इस दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिए।" कांग्रेस का यह बयान भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीयकरण के बढ़ते प्रभाव पर चिंता की ओर इशारा करता है। इसके अलावा, सेबी के कार्यों और संरचना पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता बताई गई है। इसके तहत वित्तीय बाजारों को बेहतर तरीके से विनियमित करने के लिए पेशेवर नीतियों की ओर कदम बढ़ाने की बात की जा रही है।


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Content Editor

Mahima

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