जातिगत जनगणना पर पलटे पीएम मोदी? कांग्रेस ने घेरा, शेयर किए दो पुराने वीडियो

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 02:35 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है। इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर पीएम मोदी को घेर लिया है और कहा है कि वे अब उसी फैसले का श्रेय ले रहे हैं, जिसका पहले विरोध करते थे।

एनडीए की बैठक में पीएम मोदी का बयान
रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के सभी मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में उन्होंने जातिगत जनगणना को ज़रूरी और सकारात्मक कदम बताया। पीएम मोदी ने कहा कि इससे कमज़ोर और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि एनडीए की सरकार जाति की राजनीति नहीं करती, बल्कि सभी वर्गों के लिए काम करती है।

बैठक में दो अहम प्रस्ताव पास हुए। पहला- ऑपरेशन सिंदूर में सेना की बहादुरी की तारीफ। दूसरा- जातिगत जनगणना को सामाजिक न्याय की दिशा में अहम कदम बताना।

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि यह एनडीए की सोच का हिस्सा रहा है। उन्होंने बताया कि बिहार की सरकार (जेडीयू और बीजेपी गठबंधन में) सबसे पहले इस दिशा में आगे आई थी।

कांग्रेस ने उठाए सवाल, पीएम के पुराने वीडियो किए शेयर
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर पीएम मोदी को उनके पुराने बयानों की याद दिलाई। उन्होंने दो वीडियो शेयर किए हैं, जिसमें पीएम मोदी जातिगत जनगणना की आलोचना कर रहे हैं।

एक वीडियो में पीएम मोदी कह रहे हैं: "विपक्ष जाति के नाम पर समाज को बांटता है और आज भी वही पाप कर रहा है।" दूसरे वीडियो में वे जातिगत जनगणना की मांग को "अर्बन नक्सल माइंडसेट (शहरी नक्सली सोच)" बता रहे हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी अब अचानक इस फैसले को अपनी उपलब्धि बताने लगे हैं, जबकि पहले वो इसके खिलाफ थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था, तब सरकार ने जातिगत जनगणना की घोषणा कर दी, ताकि ध्यान भटकाया जा सके।

जातिगत जनगणना क्यों है अहम?
जातिगत जनगणना का मतलब होता है – देश की आबादी में अलग-अलग जातियों की संख्या और स्थिति का पता लगाना। यह जानकारी योजनाएं बनाने और सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकती है। भारत में आजादी के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जानकारी इकट्ठा करने का फैसला किया है। विपक्षी दलों – कांग्रेस, आरजेडी, सपा, टीएमसी आदि – की लंबे समय से यह मांग रही है कि जातिगत जनगणना कराई जाए ताकि नीति-निर्धारण में पिछड़े और कमजोर वर्गों को सही जगह मिल सके।


 


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Content Writer

Pooja Arora

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