Bank Notes : 2000 के बाद अब 200 रुपए के नोट पर RBI की नजर! बाजार से अचानक हटा लिए गए 137 करोड़ रुपए
punjabkesari.in Sunday, Oct 27, 2024 - 02:26 PM (IST)
नेशनल डेस्क : हाल ही में रिजर्व बैंक ने भारतीय बाजार से 2,000 रुपये के नोट को वापस मांग लिया है और इसे चलन से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही अब यह भी खबर आ रही है कि रिजर्व बैंक ने 200 रुपये के नोट भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार, पिछले 6 महीने में रिजर्व बैंक ने बाजार से 137 करोड़ रुपये मूल्य के 200 रुपये के नोट वापस लिए हैं। ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर रिजर्व बैंक ऐसा क्यों कर रही है। हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है। रिजर्व बैंक ने न तो 200 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला लिया है और न ही ऐसी कोई योजना है।
कारण: नोटों की खराब हालत
दरअसल, बाजार से नोट वापस मंगाने का मुख्य कारण इन नोटों की खराब हालत है। रिजर्व बैंक ने अपनी छमाही रिपोर्ट में बताया है कि इस बार 200 रुपये के नोट सबसे ज्यादा खराब पाए गए हैं। इस वजह से इनकी संख्या में कमी करनी पड़ी। कुछ नोट सड़े-गले थे और कुछ पर लिखावट के कारण उन्हें चलन से बाहर किया गया।
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पिछले साल का अनुभव
पिछले साल भी रिजर्व बैंक ने 135 करोड़ रुपये मूल्य के 200 रुपये के नोट को चलन से बाहर किया था। तब भी कारण वही था, इन नोटों का गंदा, फटा और सड़ा-गला होना। हालांकि, यदि मूल्य के लिहाज से देखा जाए तो सबसे ज्यादा खराब नोट 500 रुपये के थे।
500 रुपये के नोटों पर सबसे ज्यादा प्रभाव
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में 500 रुपये की करेंसी के 633 करोड़ रुपये मूल्य के नोट वापस मंगाए गए थे। ये नोट खराब होने या कटे-फटे होने के कारण वापस लिए गए थे। इस साल की पहली छमाही में 500 रुपये के नोटों की संख्या पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी कम है, जबकि 200 रुपये के नोटों की संख्या 110 फीसदी बढ़ गई है।
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छोटे नोटों पर भी कार्रवाई
आरबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल बड़ी करेंसी ही नहीं, बल्कि छोटे नोटों की संख्या भी काफी है। इस प्रकार की कार्रवाई की गई:
- 5 रुपये के 3.7 करोड़ नोट
- 10 रुपये के 234 करोड़ रुपये मूल्य के नोट
- 20 रुपये के 139 करोड़ रुपये मूल्य के नोट
- 50 रुपये के 190 करोड़ रुपये मूल्य के नोट
- 100 रुपये के 602 करोड़ रुपये मूल्य के नोट
इस तरह, रिजर्व बैंक द्वारा किए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य बाजार में नोटों की गुणवत्ता बनाए रखना है। खराब नोटों को वापस लेने से लोगों को बेहतर और साफ-सुथरे नोटों का इस्तेमाल करने का मौका मिलता है।