डॉलर की तेजी पर लगाम लगाने में जुटा RBI, रुपए को संभालने के लिए उठा रहा ये अहम कदम

punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 10:50 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रुपये की गिरती कीमत को थामने के लिए बाजार में अपनी हस्तक्षेप की रणनीति को और तेज कर दिया है। खासतौर पर, डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती बनाए रखने के लिए RBI अब ऑफशोर नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) मार्केट में ज्यादा सक्रिय हो गया है।

क्या है NDF मार्केट?

नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) एक तरह का फॉरेक्स अनुबंध होता है जिसमें वास्तविक रूप से मुद्रा की अदला-बदली नहीं होती, बल्कि अंतर का भुगतान नकद में किया जाता है। ये बाजार भारत के बाहर, जैसे कि सिंगापुर, दुबई और लंदन में चलता है, लेकिन इसका सीधा असर भारतीय रुपये की कीमत पर पड़ता है।

रुपये पर क्यों बढ़ा दबाव?

डॉलर की मांग बढ़ी, आपूर्ति घटी

  • अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार तनाव के कारण बाजार में डॉलर की मांग बढ़ गई है।

  • इम्पोर्ट करने वाले व्यापारी (जो विदेशी सामान मंगाते हैं) अब हेजिंग के जरिए अपने डॉलर खर्च को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

  • वहीं एक्सपोर्टर्स (जो विदेशी ग्राहकों को सामान बेचते हैं) अपनी डॉलर कमाई रोक कर बैठे हैं, ताकि बाद में ऊंचे रेट पर बेच सकें।

नतीजा: बाजार में डॉलर की सप्लाई कम और मांग ज्यादा हो गई है। इससे रुपये पर दबाव बन गया है और इसकी कीमत गिरने लगी।

RBI कैसे दे रहा है सपोर्ट?

लक्ष्य: अस्थिरता कम करना, न कि किसी एक रेट को रोकना

RBI अब सीधे डॉलर बेचकर बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है, खासकर तब जब रुपया तेज़ी से गिरने लगता है। उदाहरण के लिए, जब रुपया 88.40 प्रति डॉलर के करीब पहुंचा, तो RBI ने NDF बाजार में डॉलर बेचे ताकि रुपये की गिरावट पर ब्रेक लगाया जा सके।

ऑनशोर और ऑफशोर दोनों जगह सक्रिय

RBI ना सिर्फ विदेशी (ऑफशोर) NDF बाजार में काम कर रहा है, बल्कि मुंबई स्थित स्पॉट फॉरेक्स मार्केट में भी लगातार हस्तक्षेप कर रहा है। इससे अचानक उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण रखा गया है और बाज़ार में स्थिरता बनी हुई है।

RBI की रणनीति का असर

रुपये की वोलैटिलिटी (मुद्रा में उतार-चढ़ाव) अब 6 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। इससे संकेत मिलता है कि बाजार अब रुपये को लेकर ज्यादा आश्वस्त है और ट्रेडिंग गतिविधियाँ भी नियंत्रित तरीके से हो रही हैं। बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि RBI की सक्रिय भूमिका ने रुपये को अब तक और तेज गिरने से रोका है।


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Content Writer

Pardeep

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