आरबीआईः भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि 1.48 अरब डॉलर बढ़कर 695.10 अरब डॉलर पहुंचा

punjabkesari.in Sunday, Aug 24, 2025 - 05:05 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश की अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ताज़ा साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक रिपोर्ट के अनुसार, 15 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.48 अरब डॉलर बढ़कर 695.10 अरब डॉलर के नए स्तर पर पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में दर्ज की गई है जब वैश्विक आर्थिक हालात और डॉलर की मांग को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह मजबूती भारत की वित्तीय स्थिरता को दर्शाती है और आयात जरूरतों के लिए एक मजबूत कवच प्रदान करती है।

हालांकि, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) 2.16 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 585.90 अरब डॉलर रह गया। इसके विपरीत, एसडीआर में 41 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 18.782 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 15 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.754 अरब डॉलर हो गई। इससे पहले 8 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.747 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 693.618 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। उस सप्ताह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और स्वर्ण भंडार दोनों में वृद्धि देखी गई थी।

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद बताया कि वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार देश के लगभग 11 महीने के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। भारत ने वर्ष 2023 में अपने विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 58 अरब डॉलर की वृद्धि की थी, जबकि 2022 में इसमें 71 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। वर्ष 2024 में भंडार में 20 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि हुई, और 2025 में अब तक कुल 53 अरब डॉलर की बढ़त देखी गई है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?

विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक अथवा मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा रखी गई परिसंपत्तियां होती हैं, जो मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर जैसी आरक्षित मुद्राओं में होती हैं। इसका कुछ हिस्सा यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग जैसी अन्य मुद्राओं में भी होता है। आरबीआई समय-समय पर मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करता है जब रुपया अधिक मज़बूत होता है तो डॉलर की ख़रीद करता है और जब रुपया कमज़ोर होता है तो डॉलर बेचकर विनिमय दर को स्थिर रखने का प्रयास करता है। यह तरलता प्रबंधन का एक अहम हिस्सा है।


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News Editor

Rahul Rana

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