CIBIL स्कोर अपडेट में बड़ा बदलाव: जानें नया नियम और असर...
punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 12:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रेडिट रिपोर्टिंग सिस्टम को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। 1 जनवरी 2025 से लागू नए दिशानिर्देशों के तहत, अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को डेटा अपडेट करना अनिवार्य होगा। इससे पहले, यह प्रक्रिया महीने में एक बार होती थी, जिससे क्रेडिट स्कोर अपडेट में देरी होती थी और उधारकर्ताओं को लोन लेने में मुश्किलें आ सकती थीं।
नए नियम से क्या बदलेगा?
- क्रेडिट स्कोर होगा तेजी से अपडेट – पहले लोन चुकाने या समय पर भुगतान करने के बाद भी क्रेडिट स्कोर में सुधार दिखने में समय लगता था। अब यह प्रक्रिया तेज होगी और स्कोर जल्दी अपडेट होगा।
- बैंकों को मिलेगा सटीक डेटा – बैंक अब लोन देने से पहले अधिक सटीक और हालिया क्रेडिट स्कोर के आधार पर निर्णय ले सकेंगे, जिससे लोन अप्रूवल प्रक्रिया भी तेज होगी।
- लोन डिफॉल्ट और फ्रॉड पर लगेगी रोक – मंथली रिपोर्टिंग के चलते 40 दिन तक डेटा अपडेट नहीं होता था, जिससे बैंकों को गलत निर्णय लेने की संभावना होती थी। अब 15 दिन की रिपोर्टिंग से यह समस्या दूर होगी।
- एवरग्रीनिंग पर लगेगी लगाम – ‘एवरग्रीनिंग’, जहां उधारकर्ता पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया लोन लेते थे, अब नए नियमों से इस पर अंकुश लगेगा और बैंकों को कर्जदार की वास्तविक वित्तीय स्थिति का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी।
क्रेडिट स्कोर की कैटेगरी
क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जहां 700 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है:
स्कोर रेंज | कैटेगरी |
---|---|
300–579 | खराब |
580–669 | औसत |
670–739 | अच्छा |
740–799 | बहुत अच्छा |
800+ | बेस्ट |
क्या करें?
- अपना क्रेडिट स्कोर नियमित रूप से चेक करें – यदि किसी भी प्रकार की ग़लत जानकारी रिपोर्ट में दिखती है, तो तुरंत क्रेडिट ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराएं।
- समय पर भुगतान करें – लोन या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट देरी से करने पर स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- बार-बार नया लोन लेने से बचें – अधिक लोन आवेदन करने से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कुल मिलाकर क्या होगा फायदा?
इस बदलाव से उन लोगों को फायदा होगा जो समय पर भुगतान करते हैं, क्योंकि उनका स्कोर जल्दी अपडेट होगा और उन्हें नए लोन लेने में आसानी होगी। साथ ही, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी अधिक सटीक और वास्तविक समय का डेटा मिलेगा, जिससे लोन देने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।