मोदी सरकार का बड़ा फैसला: 1000 करोड़ की लागत से भारत में बनेगा Rare Earth Magnet
punjabkesari.in Tuesday, Jun 24, 2025 - 05:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क : जब से चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है, तब से दुनिया भर की इंडस्ट्रीज परेशानी में हैं। इसका असर भारत पर भी पड़ा है। लेकिन अब भारत सरकार इस दिशा में एक बड़ा फैसला लेने जा रही है, जिससे देश को चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और जरूरी मैग्नेट्स देश में ही तैयार किए जा सकेंगे।
क्या है सरकार की नई योजना?
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च कर देश में ही रेयर अर्थ मैग्नेट्स बनाने की योजना पर काम कर रही है। इस योजना को भारी उद्योग मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह योजना अगले 10 से 15 दिनों में अंतिम रूप ले सकती है। इसके तहत भारत में हर साल करीब 1500 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स बनाए जाएंगे। अभी योजना की सभी डिटेल्स सामने नहीं आई हैं, लेकिन 5 से 6 कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई है।
ये स्कीम क्यों जरूरी है?
आज के समय में रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल कई अहम सेक्टर्स में होता है — जैसे कि ऑटोमोबाइल, रिन्युएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस। अब तक चीन इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा सप्लायर रहा है। लेकिन जब चीन ने इनका एक्सपोर्ट घटाया, तो भारत समेत कई देशों में कच्चे माल की किल्लत हो गई। भारत सरकार अब चाहती है कि इन जरूरी मैग्नेट्स का प्रोडक्शन देश के अंदर ही किया जाए, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो और इंडस्ट्री को लगातार सप्लाई मिलती रहे।
India Rare Earth Limited को अहम जिम्मेदारी
इस मिशन में India Rare Earth Limited (IREL) की अहम भूमिका होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह सरकारी कंपनी घरेलू कंपनियों को करीब 500 टन कच्चा माल सीधे सप्लाई करेगी, ताकि प्रोडक्शन में कोई रुकावट न आए और देश में इंडस्ट्री सुचारु रूप से चलती रहे।
दूसरे रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए भी अलग योजना
केवल मैग्नेट्स ही नहीं, सरकार बाकी रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए भी एक अलग योजना लाने की तैयारी में है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए 3500 से 5000 करोड़ रुपये तक के निवेश की संभावना है। फिलहाल सरकार इसका आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) कर रही है, जिसके बाद इस योजना को भी जल्द लागू किया जाएगा।