बलात्कार पीड़ितों की चिकित्सा जांच में दिशानिर्देशों का पालना नहीं की जाती: अध्ययन

punjabkesari.in Saturday, Sep 02, 2017 - 02:13 PM (IST)

नई दिल्ली: एक अध्ययन में दावा किया गया है कि बलात्कार पीड़ितों की चिकित्सा जांच स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं की जाती है। अध्ययन में इस प्रकार की चिकित्सा जांच करने के लिए स्वास्थ्य र्किमयों को समुचित प्रशिक्षण प्रदान करने की मांग की गई है।  यह अध्ययन कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की सहायता से गैर सरकारी संगठन‘पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट’ने किया है।  इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ बलात्कार पीड़ितों को प्राथमिकी दर्ज कराने में पुलिस के हाथों उत्पीडऩ और अवरोध का अनुभव भी करना पड़ा। 

अध्ययन के मुताबिक प्राथिमिकी की प्रति तुरंत उपलब्ध नहीं कराई जाती है और अक्सर पीड़िताओं को इसकी प्रति हासिल करने के लिए पुलिस का चक्कर लगाना पड़ता है। हालांकि बाद में प्राथिमिकी की एक प्रति पीड़ितों को भेज दी जाती है। अध्ययन में कहा गया है कि ये स्वास्थ्य जांच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों में अनुरूप नहीं की जाती हैं। 

इसमें कहा गया है कि औपचारिक तौर पर बलात्कार पीड़ितों से स्वास्थ्य जांच की सहमति नहीं ली जाती है और अक्सर ही इसके लिये बाद में उनके हस्ताक्षर अथवा अंगूठे के निशान ले लिए जाते हैं। अध्ययन रिपोर्ट में बलात्कार पीड़ित के केवल उन्हीं कपड़ों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजने की अनुशंसा की गई है, जोकि उस अपराध से जुड़े हों। इसके अलावा बलात्कार पीड़िता अथवा उसके गवाह एवं उसके रिश्तेदारों को सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। मुकदमे के दौरान अदालत में लगे कैमरा के माध्यम सेअभियोजन पक्ष को अदालत में आरोपी की धमकी से बचाया जाता है।  

 रिपोर्ट में दिल्ली में चार त्वरित अदालतों में चल रहे 16 मामले को शामिल किया गया था। अध्ययन में जिन मामलों को शामिल किया गया है, वे परिचितों द्वारा बलात्कार से संबंधित हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत और दुनिया भर में होने वाले बलात्कार के अधिकतर मामले इसी श्रेणी में आते हैं।   
 
 


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