बहन हो तो ऐसी! 50 रुपये की राखी के लिए लड़ी 19 महीने की कानूनी जंग, अब ब्याज समेत मिलेगा इतना रूपया
punjabkesari.in Tuesday, May 27, 2025 - 02:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं, एक भावना है—और सागर की एक बहन ने यह साबित भी कर दिया। जहां अधिकतर लोग छोटी बातों पर समझौता कर लेते हैं, वहीं इस बहन ने अपने भाई को न पहुंच सकी राखी के लिए 19 महीने तक कोर्ट में मुकदमा लड़कर इंसाफ हासिल किया। अब इस मिसाल बन चुकी बहन की कहानी हर ओर चर्चा में है।
राखी नहीं पहुंची, तो बहन ने ठाना-न्याय लेकर ही रहूंगी
यह मामला है नरयावली निवासी शकुनबाई ठाकुर का, जिन्होंने रक्षाबंधन 2023 पर अपने भाई नटराज गुजरानिया (राजस्थान, जिला बारा) को मधुर कोरियर सर्विस से राखी भेजी थी। 50 रुपये में बुक की गई इस राखी को लेकर वादा किया गया था कि यह त्योहार से तीन दिन पहले पहुंच जाएगी। लेकिन त्योहार गुजर गया और राखी कभी भाई तक नहीं पहुंची।
भावनात्मक नुकसान को माना गया 'सेवा में कमी'
राखी न पहुंचने से बहन और भाई दोनों के लिए त्योहार फीका हो गया। जब कोरियर कंपनी से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो शकुनबाई ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कंपनी पर भावनात्मक नुकसान, सेवा में कमी और लापरवाही का आरोप लगाया।
कोर्ट का फैसला: बहन को मिला इंसाफ, कंपनी पर ₹7050 का जुर्माना
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजेश कोष्ठा और सदस्य अनुभा वर्मा ने सुनवाई के बाद कोरियर कंपनी को दोषी पाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि कोरियर कंपनी:
-कोरियर शुल्क ₹50
-6% सालाना ब्याज
-₹5000 सेवा में कमी के लिए
-₹2000 वाद खर्च
-कुल ₹7050 की राशि दो माह के भीतर परिवादिनी (शकुनबाई) को अदा करे।
ऐसी बहन हर किसी को मिले: सागर में बन गई मिसाल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सागर में लोग इस बहन के जज्बे की तारीफ कर रहे हैं। शहर में यह चर्चा है कि 50 रुपये की राखी के लिए 19 महीने की कानूनी जंग जीतने वाली बहन ने भाई-बहन के रिश्ते को एक नई परिभाषा दी है।
न्याय और रिश्तों की जीत
यह घटना सिर्फ उपभोक्ता अधिकारों की नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की भी जीत है। जहां कुछ लोग इसे छोटी बात मान सकते हैं, वहीं इस बहन ने यह साबित किया कि जब बात प्यार और सम्मान की हो, तो हर लड़ाई बड़ी हो जाती है।