सिर्फ गुटखे के दाग साफ करने में इतने करोड़ रुपये खर्च करता है रेलवे, हैरान कर देगा डेटा

punjabkesari.in Sunday, Mar 10, 2024 - 05:42 PM (IST)

नेशनल डेस्कः दुनिया की सबसे बड़ी रेल लाइनों और यातायात व्यवस्था में शुमार भारतीय रेलवे में साफ-सफाई पर कितना खर्च होता है। इसकी लागत सुनकर आप चौंक जाएंगे। इतना ही नहीं रेलवे स्टेशनों और परिसरों में गुटखा के दाग-धब्बों पर होने वाला खर्च आपकों हैरान कर देगा। भारतीय रेलवे में साल 2021 में आंकड़ा दिया था। आंकड़े के मुताबिक, स्टेशन और ट्रेनों पर गुटखे के दाग हटाने के लिए करीब रेलवे ने करीब अरबों रुपए खर्च किए। यह राशि इतनी है कि इसमें 1 दर्जन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें पटरी पर दौड़ने सकती हैं।

बता दे कि भारतीय रेलवे में रोजाना करीब ढाई करोड़ के लगभग यात्री सफर करते हैं। रेलवे अब अपनी यात्रियों को तमाम सुविधाएं दे रहा है। ट्रेनों से लेकर स्टेशनों तक काफी बेहतरीन हुई है। लेकिन भारतीय रेलवे में अभी भी एक समस्या बनी हुई है और वह समस्या रेलवे की ओर से नहीं बल्कि रेलवे में सफर करते  यात्री की वजह से। रेलवे में गुटखा खाकर थूकना आज भी नहीं रुका है। इसी के चलते रेलवे को सिर्फ गुटखे के दाग हटाने के लिए इतने रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जितना आप सोच भी नहीं सकते।

1200 करोड़ से ज्यादा होते हैं खर्च
रेलवे में आप सिगरेट पीकर, या दारू पीकर नहीं चढ़ सकते। लेकिन आप गुटखा खाकर या पान खाकर जरूर चढ़ सकते हैं। और इसी के चलते रेलवे में ऐसे खूब यात्री आपको मिल जाएंगे। जो मुंह में गुटका या पान भरकर घूमते रहते हैं और जहां मन किया वही उसे थूक देते हैं। यह यात्री तो अपना सफर करके चले जाते हैं। लेकिन जो गुटखा इन्होनें थूका होता है। उसके दाग उस ट्रेन पर, उस रेलवे स्टेशन पर रह जाते हैं। जिसको साफ करने का जिम्मा आ जाता है भारतीय रेलवे। भारतीय रेलवे में साल 2021 में आंकड़ा दिया था। जो काफी हैरान करने वाला था। आंकड़े के तहत स्टेशन और ट्रेनों पर गुटखे के दाग हटाने के लिए करीब रेलवे ने करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च किए।

गुटखा ना थूके के विज्ञापन पर भी खर्च
एक और जहां भारतीय रेलवे यात्रियों द्वारा थूके गए गुटके को साफ करने के लिए करोड़ों खर्च करता है। तो वहीं उन्हें इस बात को बताने के लिए कि गुटखा खाकर थूकना गलत है। उसके लिए विज्ञापन भी देता है। यह विज्ञापन आपको रेलवे स्टेशनों पर उसके बाहर और ट्रेनों पर दिखाई दे जाते होंगे। इनमें भी रेलवे के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं


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Content Writer

Yaspal

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