'एक कायर और विनम्र प्रतिक्रिया से काम नहीं चलेगा': पैंगोंग में चीन के नए पुल को लेकर राहुल का केंद्र पर हमला
punjabkesari.in Friday, May 20, 2022 - 02:05 PM (IST)
नेशनल डेस्क: चाहे गलवान घाटी का मामला हो या फिर चीनी सैनिकों की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की खबरें, हर बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र सरकार को घेरते रहते हैं। इस बार राहुल गांधी ने पैंगोंग लेक पर चीन द्धारा बनाए जा रहे ब्रिज को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व अध्यक्ष कहा है कि चीन हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है और उसके साथ नरम तथा उदारवादी नजरिए से काम नहीं चलेगा इसलिए करारी भाषा में प्रतिक्रिया देना जरूरी हो गया है।
China builds 1st bridge on Pangong
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 20, 2022
GOI: We are monitoring the situation.
China builds 2nd bridge on Pangong
GOI: We are monitoring the situation.
India’s National security & territorial integrity is non-negotiable. A timid & docile response won’t do. PM must defend the Nation.
'हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं'
गांधी ने ट्वीट किया ‘‘चीन ने पैंगोंग पर पहला पुल बनाया। भारत सरकार ने कहा, हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। चीन ने पैंगोंग पर दूसरा पुल बनाया तो भारत सरकार ने कहा, हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं हो सकता इसलिए डरपोक और हल्की प्रतिक्रिया से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री को हर हालत में देश की रक्षा करनी चाहिए।''
विदेश मंत्रालय का बयान विरोधाभाषी- कांग्रेस प्रवक्ता
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बाद में पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि पैंगोंग झील पर चीन के दूसरे पुल के निर्माण पर विदेश मंत्रालय का बयान विरोधाभाषी है। मंत्रालय को सही पता नही है तो रक्षा मंत्रालय स्थिति को स्पष्ट करे और देश को अंधेरे में नहीं रखा जाना चाहिए। चीन पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के जिस इलाके में पुल बना रहा है हमारी सरकार उस क्षेत्र को दशकों से चीन द्वारा ‘अनाधिकृत क़ब्ज़े' वाला क्षेत्र मानती है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस पुल के निर्माण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा ‘‘हमने पुल पर रिपोटर् देखी है। यह एक सैन्य मुद्दा है। हम इसे एक अधिकृत क्षेत्र मानते हैं। इस मामले में रक्षा मंत्रालय ही बेहतर बयान दे सकता है।''
उन्होंने इस टिप्पणी को सरकार का ढुलमुल रुख करार दिया और कहा कि कूटनीति में भाषा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। जहां सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देती है वहां इस तरह की ढुलमुल टिप्पणियों से देश के हौसले का मज़ाक़ उड़ाता है। उनका कहना था कि इस साल जनवरी में जब चीन द्वारा पैंगोंग त्सो पर पहला पुल बनाने की खबरें आईं तो विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह उस क्षेत्र में स्थित है जो 60 वर्षों से चीन के अवैध कब्जे में है। प्रवक्ता ने सवाल किया कि क्या इस पुल का अवैध निर्माण हमारी भौगोलिक अखंडता पर हमला नहीं है। क्या यह निर्माण उस संघर्ष विराम का खुला उल्लंघन नहीं है जिसके चलते भारत ने सामरिक द्दष्टि से महत्वपूर्ण इलाक़ों से अपना क़ब्ज़ा छोड़ दिया थ।