कहीं राहुल को भी न करना पड़े सोनिया गांधी जैसे मुश्किल का सामना

punjabkesari.in Monday, Dec 04, 2017 - 03:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी ने आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। संभावना है कि 47 वर्षीय राहुल इस चुनाव में एकमात्र उम्मीदवार होंगे और उनके पार्टी अध्यक्ष बनने का रास्ता पूरी तरह साफ है। लेकिन अध्यक्ष पद संभालने के साथ ही कहीं राहुल गांधी को भी उनकी मां सोनिया गांधी जैसी मुश्किल का सामना  न करना पड़े। दरअसल राहुल के सामने जो अध्यक्ष बनने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल होगी वे है पार्टी को जोड़े रखना क्योंकि अध्यक्ष बदलते ही कांग्रेस टूट जाती है। 

अध्यक्ष के बदलते ही पार्टी टूटने की परम्परा
कांग्रेस में अध्यक्ष के बदलते ही टूटने की परम्परा बनती जा रही है। 1997 में सीता राम केसरी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ममता बनर्जी पार्टी से अलग हो गई थी और उन्होंने 1 जनवरी, 1998 को आल इण्डिया तृणमूल कांग्रेस ( ए.आई.टी.सी ) का गठन कर लिया था। लेफ्ट के साथ लंबी लड़ाई लडऩे के बाद ममता ने पश्चिम बंगाल में सरकार बनाई, इस टूट से कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में एक बड़ा चेहरा खो दिया। ममता की पार्टी के पास आज लोक सभा में 33 सीटें है। 

-इसके बाद सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद शरद पवार पार्टी से अलग हो गए और उन्होंने पहले ही चुनाव में लोकसभा में 8 सीटें जीत ली। इस दौरान वह महाराष्ट्र में अपनी पार्टी एन.सी.पी. को सत्ता में लाने में सफल भी रहे और केंद्र की यू.पी.ए सरकार में मंत्री भी रहे। 

-इससे पहले 1994 में  पीवी नरसिंह राव के अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी से हुए एन.डी. तिवाड़ी ने अर्जुन सिंह और माधव राव सिंधिया के साथ मिल कर तिवाड़ी कांग्रेस का भी गठन किया था लेकिन यह पार्टी सफल नहीं हो सकी। उसी  समय जी.के. मूपनार ने अलग होकर तमिल मनीला कांग्रेस बनाई थी। इंदिरा गांधी ने ब्रह्मानंद रेड्डी को अध्यक्ष बनवाया था, तब भी पार्टी टूटी थी और खुद इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री बनी थीं। उस वक्त भी कांग्रेस का विभाजन हुआ था। 

-हाल ही में कांग्रेस के नेताओं जितिन प्रसाद, संजय सिंह, अशोक चाैधरी, सुखदेव भगत, शशि थरूर के भी भाजपा के संपर्क में आने की खबरें आई थी लिहाजा माना जा रहा है कि राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद भी कुछ नेता नाराजगी दिखा सकते हैं। यदि कांग्रेस के लिए गुजरात और हिमाचल  के नतीजे उम्मीद के मुताबिक न हुए तो यह नराजगी बढ़ भी सकती है।


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