Rabies Infection: रेबीज का कहर! एक जानलेवा बीमारी, पर अगर समय पर इलाज हो तो बचाई जा सकती है जान

punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 12:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रेबीज एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिसके लक्षण एक बार दिखने लगें तो मरीज की जान बचाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी यह मानता है कि गंभीर लक्षण दिखने के बाद ज्यादातर मामलों में मौत हो जाती है। यही वजह है कि इस बीमारी के वायरस को शरीर में फैलने से रोकने के लिए तुरंत टीकाकरण (वैक्सीनेशन) करवाना बेहद ज़रूरी है।

क्यों 100% घातक है रेबीज?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रेबीज का वायरस किसी संक्रमित जानवर के काटने पर शरीर में प्रवेश करता है। सबसे पहले यह खून या टिश्यूज में जाता है, फिर धीरे-धीरे नसों के रास्ते दिमाग और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) पर हमला करता है। एक बार वायरस दिमाग तक पहुंच जाए, तो 5 से 15 दिनों के भीतर मरीज की मौत हो सकती है।

राजस्थान में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डॉ. एन.आर. रावत बताते हैं कि हर वायरस की तरह रेबीज का भी एक इनक्यूबेशन पीरियड (लक्षण दिखने का समय) होता है, जो कुछ दिनों से लेकर 3 से 8 हफ्तों तक का हो सकता है। इसी दौरान अगर टीका लगवा लिया जाए, तो वायरस को दिमाग तक पहुंचने से रोका जा सकता है। लेकिन अगर वायरस दिमाग में चला गया, तो मौत निश्चित है।

रेबीज से बचाव के लिए क्या करें?
रेबीज से बचाव के लिए सबसे जरूरी है तुरंत इलाज. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी के अनुसार, संक्रमित जानवर के काटने के 24 से 72 घंटों के भीतर पहला टीका लगवा लेना चाहिए।
वैक्सीन का शेड्यूल:
WHO के अनुसार, रेबीज के टीके 4 से 5 डोज़ में लगाए जाते हैं:
पहला डोज़: जानवर के काटने के 24 से 72 घंटे के भीतर।
दूसरा डोज़: पहले डोज़ के 3 दिन बाद
तीसरा डोज़: पहले डोज़ के 7 दिन बाद।
चौथा डोज़: पहले डोज़ के 14 दिन बाद।
➤ कुछ मामलों में 28वें दिन भी डोज़ दिया जा सकता है, यह सरकार के नियमों पर निर्भर करता है।
यह शेड्यूल बच्चों और बड़ों के लिए एक जैसा होता है, बस छोटे बच्चों के लिए डोज़ की मात्रा (ml) उनके वजन के हिसाब से तय की जाती है।


इन बातों का ध्यान रखें
➤ अगर कोई जानवर सिर्फ चाट ले और त्वचा पर घाव हो, तो भी टीका लगवाना ज़रूरी है।
➤ टीकों का पूरा कोर्स लेना बेहद ज़रूरी है. बीच में कोर्स छोड़ने से खतरा बना रहता है।
➤  किसी भी घरेलू नुस्खे पर भरोसा न करें और बिना देरी के डॉक्टर से सलाह लें।


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Content Editor

Mansa Devi

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