पाकिस्तान में कलाकारों ने किसान आंदोलन के समर्थन में गाया भावुक गीत, बयां किया बंटवारे का दर्द ( Vid

punjabkesari.in Thursday, Dec 31, 2020 - 05:24 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः भारत में चल रहे किसान आंदोलन को पूरे देश के साथ-साथ विदेशों का साथ भी मिल रहा है। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन के बाद अब पाकिस्तान  पंजाब के  पंजाबी सिंगर भी आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं। आंदोलन और किसानों के जज्बात से जोड़कर वहां गीत लिखे जा रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर हिट हो रहे हैं। 1947 में हुए देश के बंटवारे के बाद से भारत वाले हिस्से को चढ़दा पंजाब (सूर्योदय वाला) और पाकिस्तान वाले पंजाब को लेंहदा पंजाब (सूर्यास्त वाला) कहा जाने जाता है। गीतों में बंटवारे का दर्द भी है। पाकिस्तान के पंजाबी कलाकारों का कहना है कि अगर बॉर्डर न होता तो वे भी किसान आंदोलन में शामिल होते। 

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पाक कलाकार विकार भिंडर का गीत ‘दिल्ली मोर्चा’ किसानी दर्द पर केंद्रित हैं। गीत के बोल  ‘पंजाब के किसानों के दिल्ली में डेरे लगा दिए हैं। किसान बेकार नहीं रहता। यह बात दिल्ली अच्छी तरह समझ ले। धरने पर बैठे पंजाबियों ने सड़कों के डिवाइडरों पर फसलें बो दी हैं। ये पंजाब की वो कौम है, जो न किसी के साथ जबर्दस्ती करती है, न अपने साथ होने देती है। ये कौम तो सांप के फन पर पैर रखकर खेतों की सिंचाई करती है।’

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शहजाद सिद्ध के गीत ‘पंजाब’ के बोल में बंटवारे व किसानी का दर्द दोनों है। गीत है, ‘1947 का बंटवारा हम पंजाबियों की हडि्डयों में दर्द बनकर दबा है। हमें बंटवारे की जो बातें बताई गईं, वे हसरत बनकर निकल रही हैं। अभी तो पहले का ये दर्द ही नहीं गया और किसानी वाला मुद्दा लगाकर नया दर्द दे दिया। चढ़ता पंजाब लेंहदे पंजाब काे आवाज दे रहा है। दुनिया कह रही है कि सोए शेर को जगा दिया।’

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लिजाज घुग का गीत है, ‘खून खन्ना का भी वही, खून लाहौर का भी वही। लायलपुर का खून लुधियाना में है। हमारी एक जुबां, एक ही विरासत है। इसीलिए बुजुर्ग कहते हैं कि साझा पंजाब (चढ़दा-लेंहदा) अपने आप में अलग है। ये सारा खेल सियासी है...और हम इसके खिलौने हैं। हमारे खून में तो बस पंजाब है, चढ़दा और लेंहदा इसी पंजाब के दो हिस्से हैं। इनमें कोई अंतर नहीं है।’

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एआर वाटो के गीत का अर्थ है, ‘खेतों में हल चलाने वाले बैलों के साथ जो लड़का जवान हुआ, उसे आज आतंकी कहा जा रहा है। वह अपने ही खेत में गुलाम हो जाने की आशंका में है। इसलिए ये किसान आज जज्बाती हो गया है। चढ़ता पंजाब खुद को अकेला न समझे।’

 


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Tanuja

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