प्रियंका गांधी ने संसद में ''Palestine'' लिखे बैग के साथ किया प्रवेश, फिलिस्तीन के समर्थन में लगातार उठा रही आवाज़
punjabkesari.in Monday, Dec 16, 2024 - 03:36 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कांग्रेस पार्टी की नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी का एक बार फिर फिलिस्तीन के प्रति उनके समर्थन और एकजुटता का स्पष्ट संदेश मिला है। हाल ही में, प्रियंका गांधी संसद में अपने साथ एक बैग लेकर पहुंची, जिस पर अंग्रेजी में ‘Palestine’ लिखा हुआ था और विभिन्न प्रतीक चिन्ह भी बने हुए थे। उनका यह कदम उनके पक्ष में फिलिस्तीन के साथ खड़े होने और इजराइल द्वारा गाजा में किए गए सैन्य हमलों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
प्रियंका गांधी का फिलिस्तीन के प्रति समर्थन कोई नई बात नहीं है। वे पहले भी कई बार गाजा में इजराइल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना कर चुकी हैं और फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों के पक्ष में बोल चुकी हैं। हाल ही में अक्टूबर 2024 में, जब इजराइल और हमास के बीच युद्ध के एक साल पूरा होने की खबर आई थी, प्रियंका गांधी ने इजराइल की निंदा की थी और गाजा में हुई हिंसा और मौतों के प्रति चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि गाजा में अब तक 7,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 3,000 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। प्रियंका ने इजराइल पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की अपील की थी।
प्रियंका गांधी का फिलिस्तीन के पक्ष में समर्थन और उनकी ओर से इजराइल की आलोचना, उनकी वैश्विक राजनीति और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करती है। वे मानती हैं कि गाजा में हो रही हिंसा और मानवाधिकारों का उल्लंघन अनैतिक है, और यह किसी भी देश द्वारा किया गया ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ हो। हाल ही में प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन दूतावास के प्रमुख आबिद अलरजाक अबू जाजर से भी मुलाकात की थी। इस मुलाकात में, अबू जाजर ने प्रियंका को वायनाड लोकसभा सीट पर जीत पर बधाई दी थी। इस दौरान प्रियंका ने फिलिस्तीन के समर्थन में अपनी आवाज़ उठाई और इजराइल की कार्रवाइयों पर कड़ी आलोचना की थी। उनके लिए फिलिस्तीन एक न्यायप्रिय और स्वतंत्र देश का हकदार है, और वे हमेशा इस मुद्दे पर मुखर रही हैं।
प्रियंका गांधी ने संसद में अपनी बात रखते हुए बांग्लादेश में हो रही धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को भी उठाया था। उन्होंने भारत सरकार से यह आग्रह किया कि वह बांग्लादेश सरकार से बात करें और वहां उत्पीड़न का शिकार हो रहे हिंदू और ईसाई समुदाय के लोगों का समर्थन करें। प्रियंका का कहना था कि भारत सरकार को इस मामले में खामोश नहीं रहना चाहिए और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, प्रियंका गांधी ने संसद में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण की तस्वीर को लेकर भारतीय सेना के मुख्यालय से तस्वीर हटाए जाने की निंदा की। उनका कहना था कि यह एक ऐतिहासिक क्षण था जिसे भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को सम्मानित करने के रूप में सामने लाया जाना चाहिए था, लेकिन इसे हटाया जाना एक गलत कदम था।
प्रियंका गांधी का यह कदम न केवल उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाने वाली नेता हैं। उनका यह कदम वैश्विक राजनीति में उनके दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को और स्पष्ट करता है। फिलिस्तीन के प्रति उनका समर्थन, चाहे वह संसद में बैग पर ‘Palestine’ शब्द को लेकर हो या इजराइल की निंदा करने के रूप में, यह संकेत देता है कि वे इस मुद्दे पर किसी प्रकार की समझौता नीति को स्वीकार नहीं करतीं और हमेशा मानवाधिकारों के पक्ष में खड़ी रहती हैं। प्रियंका गांधी के इस कदम से न केवल फिलिस्तीन के प्रति उनके समर्थन का संदेश गया, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की सक्रिय भूमिका की पक्षधर हैं और अपनी आवाज़ उठाने में कभी पीछे नहीं हटतीं। उनका यह दृष्टिकोण भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जहां वे समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम करती हैं।