इंदिरा की नींव, अटल का समर्थन और मोदी की मुहर, चिनाब ब्रिज बना भारत की ताकत का प्रतीक

punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 01:52 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल अब भारत में है चिनाब ब्रिज। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया और इस ऐतिहासिक परियोजना को राष्ट्र को समर्पित कर दिया लेकिन इस ब्रिज की कहानी सिर्फ तकनीक और इंजीनियरिंग की नहीं है, यह देश के कई प्रधानमंत्रियों के विजन और समर्पण की भी कहानी है। खास तौर पर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं का इस ब्रिज से गहरा जुड़ाव रहा है। चलिए समझते हैं कि कैसे इस ब्रिज ने आजादी के बाद भारत की रणनीतिक सोच, सैनिक जरूरतों और आम लोगों की उम्मीदों को जोड़ने का काम किया।

क्या है चिनाब ब्रिज?

चिनाब ब्रिज भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बनाया गया है। इसकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि यह एफिल टावर से भी ऊंचा है। इस ब्रिज को इंजीनियरिंग की एक मिसाल माना जा रहा है। इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप और 40 किलो विस्फोटक को झेल सकता है। यह ब्रिज भारतीय रेलवे की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना USBRL (उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक) का हिस्सा है। इसका मकसद कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से हमेशा के लिए रेल के जरिए जोड़ना है।

इंदिरा गांधी का दूरदर्शी कदम

साल था 1965 भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी हुई थी। सेना को बॉर्डर तक पहुंचाने में रेलवे की कमी एक बड़ी बाधा बन रही थी। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया रेल नेटवर्क को उत्तरी सीमांत तक ले जाया जाए ताकि अगली बार भारत को रणनीतिक रूप से तैयार किया जा सके। इसके बाद साल 1969 में कठुआ से जम्मू तक रेलवे लाइन का विस्तार शुरू हुआ। इस काम की ज़िम्मेदारी नॉर्दर्न रेलवे को दी गई। 76 किमी लंबी यह रेलवे लाइन पठानकोट-कठुआ से जम्मू तवी तक बनाई गई और खास बात ये रही कि 1971 की जंग के दौरान भी इस पर काम नहीं रोका गया। इसी के बाद 1972 में नई दिल्ली से जम्मू तक यात्री ट्रेन चलाने का सफल ट्रायल किया गया। और यही नहीं, इंदिरा गांधी ने आगे जाकर जम्मू से उधमपुर तक रेल लाइन की नींव भी रखी, जिसे 5 साल में पूरा होना था लेकिन ये प्रोजेक्ट पूरे 21 साल बाद जाकर पूरा हो सका।

अटल बिहारी वाजपेयी का निर्णायक समर्थन

कारगिल युद्ध (1999) के बाद देश की सुरक्षा रणनीति को और मज़बूती देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बड़ा फैसला किया। उन्होंने USBRL प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की प्राथमिक योजना में शामिल कर लिया। इसका मतलब था कि इसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी।साल 2003 में वाजपेयी सरकार ने चिनाब ब्रिज के निर्माण की मंज़ूरी दी। प्लान ये था कि यह ब्रिज साल 2009 तक बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन ऊंचाई, मौसम, ज़मीन की बनावट और सुरक्षात्मक जरूरतों की वजह से इसमें लंबा समय लग गया।

नरेंद्र मोदी ने दिया आखिरी मुकाम

133 साल की लंबी योजना, कई प्रधानमंत्रियों की सोच और दशकों की मेहनत का नतीजा आज सामने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 में चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया और इसे दुनिया के सामने पेश किया। अब न केवल भारतीय सेना को रणनीतिक लाभ मिलेगा बल्कि कश्मीर के लोगों को भी देश के बाकी हिस्सों से साल भर कनेक्टिविटी मिलेगी।

चिनाब ब्रिज क्यों है खास?

  • ऊंचाई: एफिल टावर से भी ऊंचा, यानी लगभग 359 मीटर

  • मजबूती: 8 रिक्टर स्केल का भूकंप और 40 किलो विस्फोटक झेलने की क्षमता

  • रणनीतिक महत्व: सेना की पहुंच और सामान की आपूर्ति तेज

  • सामाजिक योगदान: कश्मीर के लोगों को बेहतर यात्रा सुविधा और आर्थिक विकास


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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