प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- जैन धर्म ने भारत की पहचान स्थापित करने में निभाई अहम भूमिका

punjabkesari.in Wednesday, Apr 09, 2025 - 02:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जैन धर्म ने भारत की पहचान स्थापित करने में अमूल्य भूमिका निभाई है। उनका मानना है कि जैन धर्म के मूल्यों ने भारतीय समाज को एक दिशा दी और देश की सांस्कृतिक धारा को आकार दिया। प्रधानमंत्री ने यह बातें 'नवकार महामंत्र दिवस' के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। इस मौके पर उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों और उनकी शिक्षाओं को वैश्विक दृष्टिकोण से समझने की जरूरत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने जैन धर्म की महानता और इसके सिद्धांतों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य धरोहर बताया और सरकार के द्वारा इस धर्म की विरासत के संरक्षण के प्रयासों को भी साझा किया। साथ ही, उन्होंने देशवासियों से समाज की भलाई के लिए नौ प्रतिज्ञाएं लेने की अपील की, जिससे राष्ट्र के विकास और शांति की दिशा में योगदान किया जा सके।

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जैन धर्म के सिद्धांतों का वैश्विक संदर्भ में महत्व

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत, विशेष रूप से इसके मूल्य, आज की वैश्विक चुनौतियों के समाधान के रूप में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने आतंकवाद, युद्ध और पर्यावरण संरक्षण जैसी समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि जैन धर्म में शांति, सद्भाव और अहिंसा के सिद्धांतों को बड़े पैमाने पर अपनाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि जैन धर्म के शिक्षाएं हमें सद्भावपूर्ण और अहिंसक दुनिया की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। 

अनेकांतवाद: जैन धर्म का प्रमुख सिद्धांत

प्रधानमंत्री ने जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत 'अनेकांतवाद' का उल्लेख किया, जो इस धर्म में विभिन्न दृष्टिकोणों की सराहना करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया को इस सिद्धांत की जरूरत है क्योंकि यह विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देता है। उनका मानना था कि यह सिद्धांत समाज में समरसता और सामंजस्य का प्रतीक है और इससे पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने में मदद मिल सकती है। 

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जैन धर्म का पर्यावरण संरक्षण में योगदान

प्रधानमंत्री मोदी ने जैन धर्म के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस धर्म में जीवन की पारस्परिक निर्भरता को विशेष महत्व दिया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी बताया कि जैन धर्म में मामूली हिंसा को भी अनुशासन के खिलाफ माना जाता है, और इसका उद्देश्य शांति और सद्भाव बनाए रखना है। मोदी ने यह भी कहा कि जैन धर्म का दृष्टिकोण पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे अच्छा सबक है, क्योंकि यह हमें सभी जीवन रूपों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की ओर प्रेरित करता है। 

सरकार का जैन धर्म की विरासत के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी कहा कि उनकी सरकार जैन धर्म की प्राचीन विरासत और शिक्षाओं के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह बताया कि सरकार जैन धर्म के ग्रंथों का डिजिटलीकरण कर रही है और पाली व प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा घोषित करने की हालिया योजना भी बनाई गई है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन साहित्य भारत की आध्यात्मिक भव्यता की रीढ़ है, और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।

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देशवासियों से 9 प्रतिज्ञाएं लेने का आह्वान

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से अपील की कि वे देश की एकता और विकास के लिए नौ प्रतिज्ञाएं लें। इनमें जल संरक्षण, पेड़ लगाना, स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देना, स्थानीय उत्पादों का समर्थन करना, प्राकृतिक खेती अपनाना, मोटे अनाजों का सेवन बढ़ाना, खाद्य तेल का उपयोग कम करना, गरीबों की मदद करना और खेल एवं योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना शामिल था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रतिज्ञाओं को पूरा करने से देश को विकास की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया जा सकेगा। 

एकता का संदेश फैलाने की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में यह कहा कि कार्यक्रम में मौजूद हर व्यक्ति को देशभर में एकता का संदेश फैलाना चाहिए और उन लोगों को गले लगाना चाहिए जो "भारत माता की जय" का उद्घोष करें। उनका कहना था कि यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करने का एक तरीका है।


 


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News Editor

Rahul Rana

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