विज्ञान के वरदान के साथ-साथ उसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
punjabkesari.in Tuesday, Jul 09, 2024 - 06:19 PM (IST)
नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को भुवनेश्वर स्थित राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईएसईआर) के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नए तकनीकी विकास समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही वे मानवता के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं।
विज्ञान के वरदान के साथ-साथ उसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहा है। आज Science and Technology के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं। नए-नए तकनीकी विकास मानव समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही मानवता के सामने नई चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं। pic.twitter.com/mOv3ky5uHh
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 9, 2024
'आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से हो रहे हैं बदलाव'
उन्होंने कहा, ‘‘आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं। विज्ञान के वरदान के साथ-साथ उसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहता है। इसी तरह, नए तकनीकी विकास मानव समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, वे मानवता के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं।'' जीन एडिटिंग को आसान बनाने वाली सीआरआईएसपीआर-सीएएस 9 का उदाहरण देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह तकनीक कई असाध्य बीमारियों के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, इस तकनीक के इस्तेमाल से नैतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।''
महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पापों को किया परिभाषित: राष्ट्रपति
उन्होंने कहा कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में प्रगति के कारण ‘डीप फेक' की समस्या और कई नियामक चुनौतियां सामने आ रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि एनआईएसईआर विज्ञान की तार्किंकता और परंपरा के मूल्यों को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। मुर्मू ने उम्मीद जताई कि अपने पेशे में उपलब्धियों के साथ-साथ छात्र अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी पूरी जवाबदेही के साथ निर्वहन करेंगे। उन्होंने छात्रों को यह संदेश याद रखने की सलाह देते हुए कहा, ‘‘महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पापों को परिभाषित किया है, जिनमें से एक है निर्दयी विज्ञान। यानी मानवता के प्रति संवेदनशीलता के बिना विज्ञान को बढ़ावा देना पाप करने जैसा है।''
'निराशा का सामना करने के बाद सफलता प्राप्त हुई...'
उन्होंने कहा, ‘‘मौलिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग और अनुसंधान के परिणाम प्राप्त करने में अक्सर बहुत समय लगता है। कई बार कई वर्षों तक निराशा का सामना करने के बाद सफलता प्राप्त हुई है।'' राष्ट्रपति इस कार्यक्रम के बाद राज्य से रवाना हो गईं। वह ओडिशा की चार दिवसीय यात्रा पर आई थीं। राज्यपाल रघुबर दास और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी उनके साथ हवाई अड्डे तक गए।