7 महीने से जिंदगी की जंग लड़ रहा सूरज, मां-बाप काे डाेनर की तलाश!

punjabkesari.in Thursday, Mar 16, 2017 - 01:27 PM (IST)

मुंबईः 7 महीने का सूरज जन्म से ही क्रॉनिक लंग डिजीज से लड़ रहा है। इस बीमारी के चलते सूरज अब तक 5 सर्जरी और 11 सर्जिकल प्राैसेस से गुजर चुका है। अब तक सूरज के इलाज पर 35.50 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन उसके पिता सुनील अब तक केवल 15 लाख ही चुका पाए हैं। बाकि की राशि के लिए वह डोनर की तलाश कर रहे हैं। इंसानियत का भाव दिखाते हुए अस्पताल ने अब सूरज के ट्रीटमेंट पर चार्ज करना बंद कर दिया है, लेकिन बकाया बिल चुकाने और दवाइयों का खर्च उठाने के लिए सुनील को मदद की तलाश है। कांदिवली निवासी सुनील सिंह (40) एक प्राइवेट फर्म में अकाउंटेंट हैं। पिछले साल अगस्त में उनकी पत्नी अनीता काे प्रीमैच्योर बेबी हुअा। प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण सूरज के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए और वह जन्म से ही कईं क्रॉनिक डिजीज से लड़ रहा है। हैालांकि अब इलाज के बाद सूरज की हालत में सुधार हो रहा है। 

सूत्रों के मुताबिक, जन्म के वक्त सूरज का वजन केवल 735 ग्राम था। अब यह बढ़कर 5.60 ग्राम हो गया है। भूख लगने पर वह ट्रेकियोस्टोमी (श्वास नली में लगाई गई ट्यूब) के कारण रो नहीं पाता। वह इधर- उधर देखने लगता है, और उसकी देखरेख में लगा स्टाफ समझ जाता है कि सूरज को भूख लगी है। सूरज के पिता कांच की खिड़की से उसकी एक झलक पाने के लिए दिन में 3 बार अस्पताल आते हैं, जबकि सूरज की मां अनीता सप्ताह में एक बार ही उसे देख पाती है। अनीता पंप के जरिए अपने बेटे के लिए दूध स्टोर करके जाती हैं। डॉक्टर्स ने उन्हें ट्रैवल न करने की सलाह दे रखी है। ताकि बच्चे को जरूरी मात्रा में मिल्क मिल सके।अस्पताल के सिपर स्पेशलिस्ट (निओनिटॉलजिस्ट) डॉक्टर नंदकिशोर काबरा के अनुसार, प्रीमैच्योर बर्थ में हमने कई गंभीर केस देखे हैं। अधिकतर मामलों में बच्चे 2 से 3 महीने के भीतर घर चले जाते हैं, परंतु यह यूनिक केस है। सूरज की बीमारी को लेकर बहुत अनिश्चितता है। अच्छी बात यह है कि वह रिकवर कर रहा है। 
 


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