मर कर भी जिंदा रहेगा प्रवीण! पिता ने बेटे की किडनी, फेफड़े, लिवर, आंखे दान... कई को दी नई जिंदगी

punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 09:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क : महाराष्ट्र के ठाणे जिले के रहने वाले 44 साल के प्रवीण अशोक चन्ने ने भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनके परिवार के एक फैसले ने उन्हें अमर बना दिया।

प्रवीण रिलायंस जियो में काम करते थे। कुछ दिन पहले अचानक उनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया, जिससे उनके दिमाग में ब्लीडिंग (ब्रेन हेमरेज) हो गई। उन्हें डोंबिवली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

इस कठिन समय में डॉक्टरों ने उनके परिवार से अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) की बात की। इस पर प्रवीण के पिता अशोक चन्ने और बाकी परिवार ने बहुत साहस दिखाते हुए अंगदान के लिए हां कर दी।

किन-किन अंगों का हुआ दान?

दोनों किडनियां, लिवर, फेफड़े, आंखें

ये अंग अलग-अलग ज़रूरतमंद मरीजों को दिए गए। अंगों को मुंबई, पुणे और ठाणे के कई बड़े अस्पतालों में भेजा गया जैसे – जुपिटर हॉस्पिटल (ठाणे), डीवाई पाटील (पुणे), नानावटी (मुंबई) और फोर्टिस (मुलुंड)। हालांकि, कुछ तकनीकी कारणों से प्रवीण का दिल (हृदय) संरक्षित नहीं किया जा सका।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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समाज के लिए मिसाल

भले ही अब प्रवीण हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके अंग आज भी कई लोगों के शरीर में काम कर रहे हैं और उन्हें नया जीवन दे रहे हैं। उनकी मौत कई लोगों के लिए एक नई जिंदगी की शुरुआत बन गई है।

अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों ने प्रवीण को पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि इतने कम उम्र में ब्रेन हेमरेज से जान गंवाने वाले प्रवीण का परिवार निःस्वार्थ भाव से जीवनदान देने वाला बन गया।

आज ठाणे की हनुमान कॉलोनी में रहने वाला चन्ने परिवार पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन चुका है। प्रवीण चन्ने अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि इंसानियत की मिसाल बन गए हैं।


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News Editor

Parveen Kumar

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