श्रीनगर में राष्ट्रीय प्रतीक के तोड़फोड़ पर सियासत गर्म, भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने उठाए सवाल
punjabkesari.in Saturday, Sep 06, 2025 - 11:46 PM (IST)

नेशनल डेस्कः श्रीनगर की हजरतबल दरगाह पर लगे राष्ट्रीय चिन्ह को तोड़े जाने की घटना ने राजनीति और समाज दोनों में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, जबकि दूसरी तरफ इस मुद्दे पर नेताओं के बयानबाज़ी से सियासत गरमा गई है।
हज़रतबल दरगाह का 40 वर्षों बाद हुआ जीर्णोद्धार कश्मीर के लिए श्रद्धा और सम्मान का विषय होना चाहिए था। लेकिन अफ़सोस की बात है कि कट्टरपंथी तत्वों ने शिलापट्ट पर अंकित भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान कर उसे तोड़फोड़ कर दिया।
— RP Singh National Spokesperson BJP (@rpsinghkhalsa) September 6, 2025
अगर किसी को आपत्ति थी तो वह वक्फ़ बोर्ड से संवाद कर… pic.twitter.com/fhD01JucvQ
वहीं इस घटना पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर पी सिंह ने भी सवाल उठाए हैं, उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा, हज़रतबल दरगाह का 40 वर्षों बाद हुआ जीर्णोद्धार कश्मीर के लिए श्रद्धा और सम्मान का विषय होना चाहिए था। लेकिन अफ़सोस की बात है कि कट्टरपंथी तत्वों ने शिलापट्ट पर अंकित भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान कर उसे तोड़फोड़ कर दिया।
अगर किसी को आपत्ति थी तो वह वक्फ़ बोर्ड से संवाद कर सकता था, न कि कानून हाथ में लेने का दुस्साहस करता। नोट, पासपोर्ट और सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय प्रतीक स्वीकार्य है, लेकिन शिलापट्ट पर नहीं? — यह घोर पाखंड और दोहरी मानसिकता है। यह सिर्फ़ एक तोड़फोड़ नहीं, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और संविधान का अपमान है। इस घटना पर जम्मू-कश्मीर पुलिस को कठोर और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी देशविरोधी तत्व इस प्रकार का दुस्साहस न कर सके।
चिंता की बात यह भी है कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती जैसे नेता इस संवेदनशील मुद्दे पर भी वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। राष्ट्र के प्रतीक और गरिमा की रक्षा करने की बजाय वे जनता को गुमराह करने और अपने राजनीतिक हित साधने में लगे हैं। साफ़ है — इनके लिए राष्ट्रवाद से बड़ा सिर्फ़ वोट बैंक है। देश इस दोहरी मानसिकता और राजनीतिक अवसरवाद को कभी स्वीकार नहीं करेगा।
बता दें जम्मू में इस घटना को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने सड़क पर उतरकर राष्ट्रीय चिन्ह तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राष्ट्र के प्रतीक का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।