गांधी जयंती पर पीएम मोदी की मन की बात, राष्ट्र के नाम लिखा संदेश
punjabkesari.in Tuesday, Oct 02, 2018 - 01:28 PM (IST)
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राष्ट्र के नाम पर एक संदेश लिखा है। मोदी ने लिखा कि हम बापू की जयंती पर कई आयोजनों का शुभारंभ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी लाखों-करोड़ों लोगों के लिए बापू आशा की किरण हैं। कई लोग समानता, सम्मान और सशक्तीकरण से भरपूर जीवन जीना चाहते हैं। गांधीजी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विरले ही ऐसे लोग होते है जो समाज पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं।
मोदी ने लिखा कि सरदार पटेल ने ठीक ही कहा था कि भारत विविधताओं से भरा देश है और इतनी विविधताएं किसी अन्य देश की धरती पर नहीं हैं। भारत एक ऐसा देश है जिसने लोगों को मतभेदों से ऊपर उठकर विश्व मंच तक पहुंचाया है। भारत का गौरव विश्व मंच पर बढ़ाने वाले केवल महात्मा गांधी ही थे। गांधी जी ने इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से की थी। गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे।
प्राकृतिक संसाधनों को लेकर गांधी की राय
बापू ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा का अनुपालन करने की लोगों को सलाह दी थी। गांधी अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और अपने आसपास स्वच्छता रखते थे। वे इस बात का काफी ध्यान रखते थे कि पानी कम से कम बर्बाद हो।
रचनात्मक कार्यक्रम
बापू ने 1941 में ‘रचनात्मक कार्यक्रम: उसका अर्थ और स्थान’ नाम से एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने 1945 में उस समय बदलाव भी किए थे, जब वे स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर एक नए उत्साह में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गांधी के इस ‘रचनात्मक कार्यक्रम’ को लोग ऑन लाइन और ऑफ लाइन भी पढ़ सकते हैं। गांधी जी के समय पर्यावरण में इतना प्रदूषण नहीं बढ़ा था, जितना आज है, लेकिन फिर भी बापू साइकिल का उपयोग करते थे और वे गुजरात विद्यापीठ से साबरमती आश्रम साइकिल से जाते थे। इतना ही नहीं, कानून के क्षेत्र में एक समृद्ध भविष्य होने के बावजूद वे जोहान्सबर्ग में आने-जाने के लिए साइकिल का प्रयोग करते थे। गांधी से जुड़े एक वाकये का जिक्र करते हुए मोदी ने बताया कि कहा जाता है कि जब एक बार जोहान्सबर्ग में प्लेग का प्रकोप हुआ तो गांधी जी साइकिल से सबसे ज्यादा प्रभावित स्थान पर पहुंचे और राहत कार्य में जुट गए। यह उनकी लोगों की सेवा के लिए सच्ची भावना ही थी। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास भरपूर साधन हैं, जिससे हम गांधी के सपनों को पूरा कर सकते हैं।