अयोध्या फैसले से पहले PM मोदी की मंत्रियों को नसीहत, भड़काऊ बयानबाजी से बचें

punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2019 - 09:21 AM (IST)

नेशनल डेस्कः अयोध्या मामले पर फैसला आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या पर फैसला आने वाला है और हम सबका कर्तव्य है कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखें और अनावश्यक बयानबाजी से बचें। उन्होंने यह बात कैबिनेट बैठक के दौरान कही। 
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इससे पहले भी पीएम मोदी ने मन की बात में कहा था कि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का राम मंदिर मामले पर जब फैसला आना था तो देश में कुछ बड़बोले लोगों ने क्या-क्या बोला था और कैसा माहौल बनाया गया था। ये सब पांच-दस दिन तक चलता रहा। लेकिन, जैसे ही फैसला आया तो राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, सभी संप्रदायों के लोगों, साधु-संतों और सिविल सोसाइटी के लोगों ने बहुत संतुलित बयान दिया था। न्यायपालिका के गौरव का सम्मान किया। एकता का स्वर, देश को, कितनी बड़ी ताकत देता है उसका यह उदाहरण है।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
बता दें कि 40 दिनों की मैराथन सुनवाई केबाद 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दशकों पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 17 नवंबर के पहले किसी भी दिन आ सकता है। मालूम हो कि चीफ जस्टिस रंजन गोगई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष बुधवार को सभी पक्षों की दलीलें पूरी हो गई, जिसकेबाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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40 दिनों तक चली अयोध्या मामले की सुनवाई इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में केश्वानंद भारती मामले केबाद दूसरा ऐसा मामला है जिसकी सुनवाई 40 दिनों तक चली। 13 सदस्यीय संविधान पीठ ने केश्वानंद भारती मामले पर 62 दिन सुनवाई की थी। 

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
अयोध्या भूमि विवाद मामला सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2010 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था लेकिन इसकेमेरिट पर सुनवाई इसी वर्ष छह अगस्त से सुनवाई शुरू हुई थी। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में 2.77 एकड़ वाली विवादित जगह को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई है और यह मामला पिछले नौ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था।

 


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Yaspal

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