RSS के पूरे हुए 100 साल, खास मौके पर PM मोदी ने जारी की टिकट और सिक्का
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 12:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: RSS के शताब्दी समारोह (100 साल पूरे होने) के अवसर पर दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर पीएम मोदी ने विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया है। पीएम मोदी ने इस दौरान संघ के इतिहास, चुनौतियों और योगदान पर बात की।
PM मोदी ने जारी किया विशेष डाक टिकट और सिक्का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को याद किया।
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अद्वितीय पहचान: पीएम मोदी ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा, "स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय मुद्रा (सिक्के) पर भारत माता दिखीं।" यह विशेष सिक्का और डाक टिकट संघ के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में जारी किया गया है।
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प्रमुख उपस्थिति: इस कार्यक्रम में संघ के सर-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी मौजूद थे। बता दें कि पीएम मोदी स्वयं लंबे समय तक RSS के प्रचारक रहे हैं और बीजेपी अपनी वैचारिक प्रेरणा संघ से ही लेती है।
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संघ की स्थापना: RSS की स्थापना 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना था।
पीएम बोले- संघ के सामने कई चुनौतियां आईं-
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र साधना की यात्रा में संघ के सामने आई चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य हमेशा 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' रहा है, लेकिन आज़ादी के बाद भी संघ को देश की मुख्य धारा में आने से रोकने के लिए षड्यंत्र रचे गए। पीएम मोदी ने गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) को याद करते हुए कहा कि उन्हें जेल तक भेजा गया था। जेल से बाहर आने पर गुरुजी ने कहा था, "कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे आकर कुचल जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते, क्योंकि दांत भी हमारे हैं, जीभ भी हमारी है।" इस उदाहरण के जरिए पीएम ने संघ की सहनशीलता और व्यापक दृष्टि को दर्शाया।
'संघ वो भूमि है, जहां 'मैं' से 'हम' की यात्रा शुरू होती है'
पीएम मोदी ने बताया कि RSS किस तरह एक साधारण व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करता है।
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व्यक्ति से राष्ट्र तक: उन्होंने कहा, "संघ ऐसी भूमि है, जहां से स्वयं सेवक की 'अहं' (मैं) से 'वयं' (हम) की यात्रा शुरू होती है।" यानी शाखा में एक व्यक्ति का सामाजिक और मानसिक विकास होता है और उसके मन में राष्ट्र निर्माण का भाव पनपता है।
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कुम्हार का उदाहरण: हेडगेवार जी के कार्यशैली को समझाते हुए पीएम ने कुम्हार का उदाहरण दिया। जैसे कुम्हार पहले मिट्टी लाता है, उसे आकार देता है, खुद भी तपता है और ईंट को भी तपाता है, वैसे ही हेडगेवार जी सामान्य व्यक्ति को चुनकर देश के लिए तैयार करते थे।