''आपातकाल के दौरान भारत में लोकतंत्र की हत्या हुई थी'', ''मन की बात'' के 123वें एपिसोड में पीएम मोदी ने इमरजेंसी 1975 का किया जिक्र
punjabkesari.in Sunday, Jun 29, 2025 - 12:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों से संवाद किया। इस एपिसोड की शुरुआत उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की चर्चा से की और कार्यक्रम के अंत तक कई विषयों पर अपने विचार साझा किए और इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ का ज़िक्र करते हुए पीएम मोदी बोले, 'इमरजेंसी के दौरान भारत में लोकतंत्र की हत्या हुई थी और देश के लोगों को परेशान किया गया था।'
योग दिवस की भव्यता पर पीएम मोदी का ज़ोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में बड़े उत्साह और भागीदारी के साथ मनाया गया। उन्होंने याद दिलाया कि यह सिलसिला 10 साल पहले शुरू हुआ था और अब हर साल यह आयोजन पहले से ज्यादा भव्य और प्रभावशाली होता जा रहा है। पीएम ने यह भी कहा कि, 'यह इस बात का संकेत है कि योग को अब अधिक लोग अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।'
इस बार की योग थीम: 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य'
पीएम मोदी ने इस बार की थीम ‘Yoga for One Earth, One Health’ को बेहद खास बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना को दर्शाने वाला एक वैश्विक संदेश है।
देश और दुनिया से आईं योग दिवस की प्रेरणादायक झलकियां
प्रधानमंत्री ने योग दिवस पर देश-विदेश में हुए आयोजन की कई खास तस्वीरों और प्रयासों का ज़िक्र करते हुए बोले: हिमालय की बर्फीली चोटियों पर ITBP के जवानों ने योग किया। गुजरात के वडनगर में (इक्कीस सौ इक्कीस) 2121 लोगों ने एक साथ भुजंगासन कर नया रिकॉर्ड बनाया। न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो और पेरिस जैसे शहरों से योग की तस्वीरें आईं जिनमें शांति और स्थिरता की झलक दिखी। भारतीय नौसेना के जहाजों पर भी योग किया गया। तेलंगाना में 3000 दिव्यांगजनों ने सामूहिक रूप से योग कर सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत किया। दिल्ली में लोगों ने स्वच्छ यमुना का संकल्प लेते हुए यमुना तट पर योग किया। जम्मू-कश्मीर के चिनाब ब्रिज (दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल) पर भी योग आयोजन हुआ। विशाखापत्तनम में तीन लाख लोगों ने समुद्र तट पर एक साथ योग किया। वहीं, 2000 से अधिक आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 बार सूर्य नमस्कार कर अनुशासन और समर्पण का परिचय दिया।
तीर्थयात्राएं: श्रद्धा और सेवा का संगम
पीएम मोदी ने धार्मिक यात्राओं की बात करते हुए कहा, ''जब कोई व्यक्ति तीर्थयात्रा पर निकलता है तो उसके मन में पहला भाव आता है- 'चलो, बुलावा आया है।' यही भावना हमारी आस्था का आधार है।'' पीएम ने बताया कि तीर्थयात्राएं केवल प्रभु से जुड़ने का ही माध्यम नहीं, बल्कि यह सेवा, अनुशासन और आपसी भाईचारे का भी पर्व होती हैं। उन्होंने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि देशभर में लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं और यह 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना को मजबूती देती है।
कैलाश मानसरोवर और अमरनाथ यात्रा का ज़िक्र
प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि लंबे समय बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः शुभारंभ हुआ है। उन्होंने कहा कि कैलाश को हिंदू, बौद्ध और जैन सभी परंपराओं में श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। साथ ही उन्होंने बताया कि 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है और सावन का पवित्र महीना भी अब ज्यादा दूर नहीं है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं भी दीं।