Operation Sindoor Attack: तीनों सेना प्रमुखों के साथ कौन था वो चौथा शख्स जो वॉर रूम से देख रहा था पाकिस्तान की तबाही
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 09:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने वो कर दिखाया जिसने पाकिस्तान और आतंकियों दोनों के होश उड़ा दिए। 6-7 मई की रात भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में सटीक हमले कर 100 से ज्यादा आतंकवादियों को ढेर कर दिया। इस दौरान नौ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। यह ऑपरेशन आधी रात को शुरू हुआ। रात 1:05 बजे से 1:30 बजे तक केवल 23 मिनट में भारतीय सेना ने वो कर दिखाया जिसे पूरी दुनिया ने देखा और सराहा। आतंकियों के अड्डों को ऐसी सटीकता से निशाना बनाया गया कि आसपास के नागरिक या पाकिस्तान की सैन्य संरचनाओं को कोई नुकसान नहीं हुआ। यह भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता और मानवीय दृष्टिकोण दोनों का प्रमाण था।
वॉर रूम में बैठे थे देश के चार सबसे बड़े रक्षक
जब यह ऑपरेशन अंजाम दिया जा रहा था तब आर्मी वॉर रूम से इसकी लाइव निगरानी की जा रही थी। वहां मौजूद थे:
-
CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान
-
थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी
-
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी
-
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह
इन चारों सैन्य शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी ने इस ऑपरेशन की गंभीरता और रणनीतिक अहमियत को साफ दर्शाया।
भारत ने दिखाया अनुशासन और सटीकता का अद्भुत उदाहरण
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया कि हमला सिर्फ आतंकियों पर हो। सटीक इंटेलिजेंस के आधार पर सिर्फ उन ठिकानों को चुना गया जो आतंकी गतिविधियों के केंद्र थे। कोई भी नागरिक या आम ढांचा इस हमले में प्रभावित नहीं हुआ। यह इस बात का सबूत है कि भारत आतंक के खिलाफ तो सख्त है लेकिन इंसानियत के प्रति संवेदनशील भी है।
मसूद और हाफिज जैसे आतंकी भी सहमे
ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान और POK में हड़कंप मच गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई के बाद मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकियों ने अपने ठिकाने बदल लिए। भारतीय सेना के तेज, साफ-सुथरे और सीमित समय में हुए हमले से आतंकियों में डर बैठ गया है कि अगला निशाना कहीं वे न बन जाएं।
23 मिनट की वो रात जब पाकिस्तान कांप उठा
23 मिनट में भारतीय सेना ने जो कर दिखाया वो केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि भारत के नए आत्मविश्वास और सुरक्षा नीति का इशारा था। बिना किसी शोर-शराबे के, बिना कोई सार्वजनिक ऐलान किए भारत ने आतंकवादियों को उनकी ही जमीन पर जाकर करारा जवाब दिया।