पूर्व CJI रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य पद की शपथ लेने से रोकने के लिए SC में याचिका

punjabkesari.in Wednesday, Mar 18, 2020 - 08:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य पद की शपथ लेने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि रिटायर जजों के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएं। बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है। गोगोई के राज्यसभा में नामित होने पर राजनीति शुरू हो गई है।
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सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जजों ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसफ ने हैरानगी जताई और कहा कि गोगोई द्वारा इस मनोनयन को स्वीकार किये जाने ने न्यायापालिका में आम आदमी के विश्वास को हिला कर रख दिया है। पत्रकारों ने जब जोसफ से इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने आरोप लगाया कि गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्षता के ‘पवित्र सिद्धांतों से समझौता' किया।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरे मुताबिक, राज्यसभा के सदस्य के तौर पर मनोनयन को पूर्व प्रधान न्यायाधीश द्वारा स्वीकार किये जाने ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के भरोसे को झकझोर दिया है।'' उन्होंने कहा कि न्यायपालिका भारत के संविधान के मूल आधार में से एक है। जोसफ ने गोगोई, जे चेलामेश्वर और मदन बी लोकुर के साथ सार्वजनिक रूप से जनवरी 2018 में एक संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे।
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जोसफ ने इस संवाददाता सम्मेलन के संदर्भ में कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिये कभी ऐसा दृढ़ साहस दिखाने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कैसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के पवित्र सिद्धांत से समझौता किया है।'' पिछले साल नवंबर में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के पद से सेवानिवृत्त होने वाले गोगोई ने कहा कि शपथ लेने के बाद वह मनोनयन स्वीकार करने पर विस्तार से बात करेंगे। उन्होंने गुवाहाटी में संवाददाताओं से कहा, “पहले मुझे शपथ लेने दीजिए, इसके बाद मैं मीडिया से इस बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा कि मैंने यह पद क्यों स्वीकार किया और मैं राज्यसभा क्यों जा रहा हूं।”

जस्टिस गोगोई ने विपक्ष के सवालों पर क्या कहा?
राज्यसभा के लिए मनोनयन की हो रही आलोचना पर गोगोई ने एक स्थानीय समाचार चैनल को बताया, “मैंने राज्यसभा के लिये मनोनयन का प्रस्ताव इस दृढ़विश्वास की वजह से स्वीकार किया कि न्यायपालिका और विधायिका को किसी बिंदु पर राष्ट्र निर्माण के लिये साथ मिलकर काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा, “संसद में मेरी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायपालिका के नजरिये को रखने का एक अवसर होगी।” इसी तरह विधायिका का नजरिया भी न्यायपालिका के सामने आएगा।
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पूर्व सीजेआई ने कहा, “भगवान संसद में मुझे स्वतंत्र आवाज की शक्ति दे। मेरे पास कहने को काफी कुछ है, लेकिन मुझे संसद में शपथ लेने दीजिए और तब मैं बोलूंगा।” कांग्रेस ने केंद्र पर संविधान के मौलिक ढांचे पर गंभीर हमला करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कार्रवाई न्यायपालिका की स्वतंत्रता को हड़प लेती है।

 


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Yaspal

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