जल्लीकट्टू का विरोध करने पर पेटा को मिल रही धमकियां

punjabkesari.in Saturday, Jan 21, 2017 - 05:00 PM (IST)

नई दिल्ली : तमिलनाडु और आस-पास के राज्यों में पोंगल त्योहार के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले बैलों के पंरपरागत खेल जल्लीकट्टू का मुखर विरोध करने के कारण वन्य जीवों और पशुओं के कल्याण के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था‘पेटा’के कर्मचारियों और अधिकारियों को गालियां और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

जल्लीकट्टू के समर्थन में चेन्नई के मरीना बीच पर आयोजित प्रदर्शन में पेटा के खिलाफ सैकड़ों पोस्टर और बैनर पहले से ही लगे हुए हैं लेकिन अब संगठन के अधिकारियों और कर्मचारियों को धमकी भी मिल रही है। जल्लीकट्टू के समर्थकों की बात तो दीगर है तमिलनाडु के राजनीतिक नेता भी इस मामले में खुलकर पेटा का विरोध कर रहे हैं।

द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम के नेता एम के स्टालिन ने पेटा को राष्ट्र विरोधी बताया है। कई ने तो पेटा को तमिलनाडु से निकाल बाहर करने जैसा सख्त बयान भी दिया है। पेटा के निदेशक वी मणिलाल का कहना है कि पिछले सप्ताह भर से मिल रही इन धमकियों के बावजूद पेटा जल्लीकट्टू का विरोध जारी रखेगी और यदि राज्य सरकार इस खेल के आयोजन के लिए अध्यादेश लाती है तो वह इसे न्यायालय में चुनौती देगी और निरीह पशुओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों के प्रति लोगों को जागरुक बनाने का अपना काम जारी रखेगी।

मणिलाल के अनुसार संस्था के कार्यालय में लगातार फोन आ रहे हैं जिनमें अंग्रेजी और तमिल भाषा में अज्ञात लोगों कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। मणिलाल का यह बयान ऐसे समय आया है जब तमिल समुदाय के भारी दबाव में आकर और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए केन्द्र ने जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए तमिलनाडु को अध्यादेश जारी करने की अनुमति देने की तैयारी शुरू कर दी है जबकि उच्चतम न्यायालय ने इस खेल पर प्रतिबंध लगा रखा है और इसके मामले की सुनवाई लंबित है।

पेटा का कहना है कि यदि सरकार जल्लीकट्टू के आयोजन की रविवार को अनुमति दे भी देती है तो भी वह इस खेल को भविष्य में रोकने के अपने प्रयास रोकने वाली नहीं है और तमाम धमकियों और मुश्किलों के बावजूद लोगों को पशुओं पर किए जाने वाले अत्याचारों के प्रति जागरूक बनाने का अपना प्रयास जारी रखेगी।


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