8000 रुपए में बिक रहा यह पत्थर, क्या है इसके पीछे का राज?

punjabkesari.in Thursday, Feb 06, 2025 - 07:49 PM (IST)

नई दिल्ली: कई बार इंसान के अजीबोगरीब शौक उसे दूसरों से अलग बना देते हैं और यह शौक अक्सर एक नया ट्रेंड बन जाता है। इस समय एक ऐसा ही अजीब ट्रेंड सोशल मीडिया और बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें लोग कुत्ते या बिल्ली को पालतू बनाने के बजाय पत्थरों को पालतू बना रहे हैं। सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। यह शौक 50 साल पुराना है, लेकिन अब यह फिर से ट्रेंड बन चुका है।

कैसे शुरू हुआ पेट रॉक का क्रेज?
यह कहानी 1970 की है जब गैरी डाहल नामक एक शख्स ने अपने दोस्तों से सुना कि वे पालतू जानवरों की देखभाल से परेशान थे। इस पर गैरी के दिमाग में एक आइडिया आया, और उन्होंने मजाक में कहा कि क्यों न लोग पेट रॉक को पालतू जानवर के रूप में रखें। उनका कहना था कि यह पत्थर जैसा पालतू जानवर घर में रख सकते हैं, जिसे न तो नहलाने की जरूरत होगी, न खिलाने की और न ही घुमाने की। इसके अलावा यह बहुत सस्ता और आरामदायक भी होगा।

गैरी डाहल ने 1970 में पेट रॉक बेचना शुरू किया। यह एक चिकना पत्थर था, जिसे पुआल के बिस्तर पर रखा जाता था और यह इस तरह से तैयार किया जाता था कि वह एक पालतू जानवर जैसा दिखाई दे। इसके साथ एक पैकेज भी था जिसमें बताया जाता था कि कैसे इसका ध्यान रखें। इसके अलावा, पेट रॉक को स्वाभाविक रूप से सांस लेने के लिए छेद भी दिए गए थे।

फिर से बढ़ी डिमांड
पेट रॉक की बिक्री इतनी बढ़ी कि यह एक सनक बन गई और गैरी डाहल ने इससे बहुत पैसे कमाए। खासकर दिसंबर 1975 के क्रिसमस सीजन के दौरान पेट रॉक की बिक्री में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसकी लोकप्रियता घट गई और पेट रॉक का क्रेज खत्म हो गया।

अब, 2022 में, खिलौना कंपनी सुपर इंपल्स ने पेट रॉक के राइट्स खरीद लिए और इसे फिर से मार्केट में लॉन्च किया। अब यह एक बार फिर से लोकप्रिय हो गया है और लोगों में इसकी डिमांड बढ़ने लगी है। लोग अब इसे पालतू बनाने के लिए मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं।


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Content Editor

rajesh kumar

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