यहां आज भी मौजूद है पांचाली, सभी भाई एक ही लड़की से करते हैं शादी

punjabkesari.in Saturday, Jul 27, 2019 - 07:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हम सभी ने महाभारत कई बार पढ़ी, सुनी और टीवी पर देखी होगी। लेकिन आपको कैसा लगेगा जब आपको पता चलेगा कि महाभारत काल की द्रौपदी का अनुसरण करते हुए आज भी कई जगह बहुपति प्रथा मौजूद है। सुनकर चौंक गए ना आप, लेकिन ये सौ फिसदी सच है। आज भी हमारे देश में ऐसे कई इलाके है जहां बहुपति प्रथा होती है और सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि हमारे पड़ोसी देशों में ये प्रथा निभाई जाती है। और इसको आज निभाने के पीछे की वजह लड़कियों की कमी नहीं बल्कि वहां की परंपराएं, रिवाज और सामाजिक सोच है।

अब हम आपको बताते हैं उन इलाको के बारे में जहां आज भी ये प्रथा जीवित है। उत्तराखंड के जौनसार बावर,  दक्षिण कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र, नीलगिरि के टोडा, त्रावणकोर के नायर, मालाबार हिल्स के इजहेर जातियां और नेपाल के लामा समुदाय है। इसके अलावा देहरादून की खासी जनजाति, अरुणाचल प्रदेश की गालोंग जनजाति, केरल के माला मदेसर, माविलन, कोटा, करवाजी, पुलाया, मुथुवान और मन्नान जातियों में भी यह बहुपति प्रथा अब भी प्रचलित है।

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ये तस्वीर उत्तराखंड की रहनेवाली राजो की है। जो देहरादून के एक गांव में रहती है। राजो की शादी पहले एक लड़के से हुई फिर बाद में उसे पति के बाकी सभी भाईयों से भी शादी करनी पड़ी। हालांकि राजो इस शादी से बेहद खुश है। उसके पांचो भाईयों से शारीरिक संबंध है और उसका एक बेटा भी है। लेकिन उसके पांचो पति में से उस बच्चे का जैविक पिता कौन है ये किसी को नहीं पता। वहीं 5 भाईयों की एक पत्नी होने के बावजूद भी भाईयों में किसी तरह का कोई तनाव या मतभेद नहीं है। राजो के मुताबिक उसके घर में कभी कोई झगड़ा नहीं होता। वो सभी को समान रूप से प्यार करती है और उसके पति भी उसका बहुत ख्याल रखते है। पूरा परिवार मिलजुल कर घर की जिम्मेदारी उठाता है।

राजो कहती है कि उसे कभी इस परंपरा से कोई दिक्कत नहीं हुई। उसे बचपन से ही पता था कि उसे कई पुरूषों से शादी करनी होगी। उसकी मां ने भी तीन पुरूषों से शादी की थी। राजो के मुताबिक पांच पतियों की पत्नी होने पर उसे गांव की बाकी औरतें से ज्यादा अटेंशन मिलता है, जो उसे बहुत अच्छा लगता है।

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वहीं उनके इस वैवाहिक जीवन में टोपी का बहुत महत्व है। राजो जब कमरे में अपने किसी एक पति के साथ होती है तो उसका वो पति अपनी टोपी दरवाजे के बाहर रखकर दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है। इससे बाकी भाइयों के ये पता चल जाता है कि राजो अंदर किसके साथ है और वो मर्यादा का ख्याल रखते हुए उस कमरे में नहीं जाते।

इधर नेपाल में तिब्बती सीमा से लगे हुम्ला जिले के लामा समुदाय में भी इसी तरह से बहुपति प्रथा कायम है। यहां बरगांव निवासी धर्म लामा तीन भाई हैं और उन तीनों भाईयों की केवल एक ही पत्नी हैं। तीनों भाई धर्म लामा, बुद्धि लामा और नर्बु लामा साल के चार-चार महीने अपनी पत्नी के साथ बिताते हैं। तीनों भाईयों में किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है।  

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करीब सौ साल पहले 1911 में हुई जनगणना भी व्यापाक रूप से उन जातियों का उल्लेख है जिसमें बहुपति प्रथा का उदारहण मिलता है। लेकिन सदियों पुरानी इस प्रथा का आज भी अंत नहीं हुआ है। इस प्रथा को आज भी लोग पूरे नियम और निष्ठा के साथ निभाते है। इस तरह की प्रथा को मानने वालों लोगों का कहना है कि ऐसी शादियों से परिवार में संपति और दौलत संबंधी झगड़े नहीं होते। वहीं कुछ लोग इसे आबादी नियंत्रित करने का भी जरिया मानते हैं।

हालांकि कानून इस तरह की शादियों को मान्यता नहीं देता। लेकिन इस सब के बाद भी हिमालय के कई पहाड़ी क्षेत्रों, तिब्बत और नेपाल में ये शादियां हो रही है और चल रही है।


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Edited By

prachi upadhyay

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