Terror Vs Tourism: 12,000 करोड़ का टूरिज़्म, 2.36 करोड़ टूरिस्ट, लाखों परिवारों की कमाई पर बन गया खतरा?
punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 07:42 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कभी जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता था, आज वही कश्मीर फिर से आतंक की चपेट में है। पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने सिर्फ जिंदगियां नहीं छीनीं, बल्कि कश्मीर की आर्थिक रीढ़ कहे जाने वाले पर्यटन उद्योग को हिलाकर रख दिया। ये हमला सिर्फ गोलियों का शोर नहीं था-ये सैलानियों के भरोसे, स्थानीय कारोबारियों की रोज़ी-रोटी और कश्मीर के भविष्य पर सीधा वार था।
टूरिज़्म पर ब्रेक: बुकिंग कैंसिल, सीज़न पर संकट
हमले के बाद कश्मीर आने वाले पर्यटकों ने अपनी टिकट और होटलों की बुकिंग रद्द करना शुरू कर दिया है। एयरलाइंस, होटल्स, टैक्सी सर्विस और गाइड्स-सभी का कारोबार एक झटके में रुक गया है। पर्यटन सीज़न की शुरुआत में हुए इस हमले ने घाटी में अस्थायी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक संकट की नींव रख दी है।
12,000 करोड़ का उद्योग खतरे में
कश्मीर का पर्यटन उद्योग हर साल लगभग ₹12,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है और राज्य की जीडीपी में 7-8% योगदान देता है। यह वही उद्योग है जो 2030 तक ₹25,000 से ₹30,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद कर रहा था। मगर अब इस विकास पर बड़ा ब्रेक लग गया है।
2.5 लाख लोगों की रोजी पर तलवार
कश्मीर में 2.5 लाख से ज्यादा लोग सीधे पर्यटन पर निर्भर हैं—चाहे वो डल झील की 1500 से ज्यादा हाउस बोट हों, या पहलगाम और गुलमर्ग के होटल-गाइड-ड्राइवर। अब ये सब रोज़गार की चिंता में डूब गए हैं। होटल्स के 3000 से ज्यादा कमरे खाली हो सकते हैं, और हज़ारों परिवारों पर भूख का साया मंडरा सकता है।
पर्यटकों का रिकॉर्ड अब इतिहास?
2024 में कश्मीर ने 2.36 करोड़ पर्यटकों का स्वागत किया था, जिसमें 65,000 विदेशी सैलानी शामिल थे। गुलमर्ग अकेले ₹103 करोड़ का रेवेन्यू जेनरेट कर रहा था। लेकिन इस हमले ने उस ट्रेंड को उलट दिया है। कैंसिल होती बुकिंग और खाली होटलों से अब घाटी की चुप्पी डराने लगी है।
सरकार के प्रयासों पर असर
केंद्र सरकार ने कश्मीर को पर्यटन हब बनाने के लिए 1000 करोड़ रुपये के बजट, 75 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन, ऑन-अराइवल वीज़ा, और वंदे भारत जैसी योजनाओं की नींव रखी थी। रेल कनेक्टिविटी से लेकर ओटीटी शूटिंग तक, हर दिशा में विकास हो रहा था। लेकिन अब ये सब एक झटके में ठहराव की ओर बढ़ते दिख रहे हैं।
बढ़ते वाहन, रुकती तरक्की
साल 2017 में जहां 14.88 लाख गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन था, वो 2024 में बढ़कर 27.29 लाख तक पहुंच चुका था—ये विकास की रफ्तार का संकेत था। लेकिन अब इस रफ्तार को आतंक की ब्रेक ने रोक दिया है।