राष्ट्रपति कोविंद की सादगी ने जीता दिल, स्टेज से नीचे उतरकर पैरा-एथलीट को पद्मश्री से किया सम्मानित
punjabkesari.in Tuesday, Nov 09, 2021 - 02:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अगर इरादे नेक और दृढ़ हो तो हर कोई आपके हौसले को सलाम करेगा। भले ही आप शरीर से अक्षम क्यों न हो, अगर आपने ठान लिया कि आसमान तक उड़ान भरनी है तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। इसका सार्थक उदाहरण हैं भारतीय पैरा एथलीट (para-athlete) के. वाई. वेंकटेश (KY Venkatesh), जिन्होंने अपने कमी को अपनी ताकत बनाया और उनके हौसले का सम्मान खुद देश के माननीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी किया।
4 फीट 2 इंच पैरा-एथलीट और लिम्का रिकॉर्ड धारक के.वाई. वेंकटेश को पद्मश्री से सम्मानित करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सीढ़ियों नीचे उतरे. के.वाई. वेंकटेश चौथे वर्ल्ड ड्वॉर्फ गेम्स में छह पदक जीतकर 2005 में 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज कराया था.#padamshree pic.twitter.com/xiVkbcbzbZ
— WeYo हिंदी (@WeYoIndia) November 9, 2021
पैरा एथलीट वेंकटेश को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। केवाई वेंकटेश जब पद्मश्री लेने के लिए स्टेज के पास पहुंचे तो राष्ट्रपति रामनाथ ने उन्हें रोकते हुए कहा कि आप रुकिए मैं ही स्टेज से नीचे आता हूं। जहां राष्ट्रपति की इस सादगी ने लोगों का दिल जीत लिया वहीं केवाई वेंकटेश की भी खूब तारीफ हो रही है। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है और यूजर्स कह रहे हैं कि आपकी कमी भी आपकी ताकत बनकर आपके हौसलों को बुलंद करती है। केवाई वेंकटेश Achondroplasia से ग्रसित हैं।
नहीं मानी जिंदगी में हार
Achondroplasia शारीरिक विकास में कमी से संबंधित एक विकार होता है। इस बीमारी के चलते वेंकटेश की शारिरिक वृद्धि 4 फुट 2 इंच पर आकर ही थम गई। कर्नाटक के वेंकटेश को इस बीमारी के कारण अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन अपने छोटे कद के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। वेंकटेश ने अपने जीवन को नया मोड़ देते हुए पैरा-एथलीट खेलों में अपना योगदान देने का मन बनाया और उन्होंने 50 साल पुराने बहुक्रियाशील पैरास्पोर्ट (multi-facted parasports ) को चुना। भारतीय पैरा-एथलीट के. वाई. वेंकटेश लिम्का वर्ल्ड रिकार्ड विजेता रह चुके हैं। 1994 में, बर्लिन में पहली अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (Internation Paralympic Committee, IPC) द्वारा आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कई पदक जीते। इसके बाद उन्होनें एथलेटिक्स, बास्केटबॉल, हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन जैसे कई खेलों में जीत हासिल कर पदक जीते। वेंकटेश ने शॉट-पुट के लिए एक बहु-विकलांगता चैम्पियनशिप(multi-disability championship) में अपना पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल भी जीता।
जीते कई पदक
साल 2002 में, एलजी विश्व कप खेलों( LG World Cup Games) में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वेंकटेश ने बैडमिंटन के लिए एक सिल्वर मेडल, शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और भाला फेंक में तीन गोल्ड मेडल जीते। 2004 में ओपन ट्रेक और फील्ड गेम्स में कई खेलों का हिस्सा बने। 2005 में, उन्होनें 4th World Drawf Games (बौनों के बीच होने वाली प्रतियोगिता) पर आधारित विभिन्न खेलों में 6 पदक हासिल कर कई विश्व रिकार्ड कायम किए। 2006 के यूरोपीयन ओपन चैम्पियनशिप (European Open Championship) में बैडमिंटन स्पर्धा में अपनी दावेदारी हासिल करते हुए उन्होनें ब्रोन्ज मेडल लिया। इसके अलावा स्वीडिश ओपन ट्रेक और फील्ड गेम्स(Swedish Open Track and Field Games) के चलते हॉकी स्पर्धा में 2 गोल्ड और 1 ब्रोन्ज मेडल पाया।