अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के मौके पर Everest का 360-डिग्री नजारा वायरल, वीडियो ने जीता लोगों का दिल
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 01:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस हर साल 29 मई को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के मौके पर एक खास वीडियो ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है। यह वीडियो 2018 में माउंट एवरेस्ट के शिखर से रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें दर्शकों को धरती की सबसे ऊंची चोटी से चारों ओर का 360-डिग्री नज़ारा देखने को मिलता है। वीडियो की वजह से लोग एक बार फिर हिमालय की ऊंचाइयों और प्राकृतिक सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हो गए हैं। यह 360-डिग्री वीडियो अब एक बार फिर वायरल हो रहा है और लोग इसे देखकर हैरान रह गए हैं कि कैसे इतने कठिन हालात में यह रिकॉर्ड किया गया। वीडियो में बर्फ से ढकी चोटियों के बीच एक अद्भुत नज़ारा दिखता है जो हर किसी को रोमांचित कर देता है। एवरेस्ट की चोटी से पूरी पृथ्वी को देखने का यह अनुभव कई लोगों के लिए जीवनभर का सपना होता है।
Incredible 360 degree view from the top of Mount Everest on a clear day.
— Amazing Nature (@AmazingNature00) March 9, 2022
Credit: Ben M Jones pic.twitter.com/XWZPPUG6Xy
माउंट एवरेस्ट पर पहला इंसान कौन चढ़ा था?
माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले सफल चढ़ाई 29 मई 1953 को न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने की थी। इन दोनों ने मिलकर इतिहास रचा और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहली बार मानव उपस्थिति दर्ज की।
माउंट एवरेस्ट पर पहला भारतीय इंसान कौन चढ़ा था?
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय व्यक्ति लेफ्टिनेंट कर्नल अवतार एस चीमा थे जो नवांग गोम्बू शेरपा के साथ चढ़ थे। इन्होनें 1965 में भारत के पहले सफल एवरेस्ट अभियान के हिस्से के रूप में चोटी पर कदम रखा। उस अभियान में कुल 9 भारतीय पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट फतह किया था, जो उस समय तक का एक विश्व रिकॉर्ड था।
माउंट एवरेस्ट पर कोई आम इंसान कैसे चढ़ सकता है?
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन यदि कोई आम व्यक्ति पूरी तैयारी, अनुशासन और मानसिक-शारीरिक दृढ़ता के साथ इसे करना चाहे तो यह संभव है। सबसे पहले, व्यक्ति को हाई एल्टीट्यूड पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेना होता है, जो बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स के रूप में भारत में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (उत्तरकाशी) या हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट (दार्जिलिंग) जैसे संस्थानों से किया जा सकता है। इसके बाद कुछ छोटे पर्वतों पर चढ़ाई का अनुभव ज़रूरी होता है ताकि शरीर ऊंचाई पर काम करने का अभ्यस्त हो जाए। एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए नेपाल सरकार या चीन की ओर से परमिट लेना होता है, जो काफी महंगा होता है। एक एवरेस्ट अभियान की कुल लागत 25 से 40 लाख रुपये या उससे अधिक हो सकती है, जिसमें परमिट फीस, गाइड, ऑक्सीजन सिलेंडर, पोर्टर और कैंपिंग व्यवस्थाएं शामिल होती हैं। आमतौर पर, व्यक्ति किसी अनुभवी एजेंसी के माध्यम से मई या अक्टूबर में यह चढ़ाई करता है जब मौसम अपेक्षाकृत स्थिर होता है।