धरती से खत्म हो जाएगी ऑक्सीजन! NASA का बड़ा खुलासा- बताई ‘जिंदगी की आखिरी तारीख’

punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 07:23 AM (IST)

नई दिल्ली:  जिस ऑक्सीजन पर आज हमारी सांसें टिकी हैं, एक दिन यही हवा हमसे रूठ जाएगी। NASA और जापान की टोहो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक साझा अध्ययन में ऐसा भविष्य दिखाया है, जिसे सुनकर विज्ञान और जीवन दोनों की दिशा पर सवाल खड़े हो जाते हैं। यह रिसर्च बताती है कि हमारी पृथ्वी पर जीवनदायिनी ऑक्सीजन अनंत नहीं है - इसका भी एक अंत है, और वह तय समय के साथ करीब आता जा रहा है।

रिसर्च का बड़ा दावा: ऑक्सीजन खत्म होगी, जीवन भी
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि आज से लगभग एक अरब साल बाद पृथ्वी पर ऑक्सीजन युक्त वातावरण पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। यानी जिस हवा में आज हम सांस ले रहे हैं, वह भविष्य में दुर्लभ हो जाएगी और पृथ्वी जीवों के रहने योग्य नहीं रह जाएगी।

 कैसे निकाला यह निष्कर्ष?
इस अध्ययन के पीछे कोई कल्पना नहीं, बल्कि 4 लाख से अधिक कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का सहारा लिया गया है। इन सिमुलेशन्स के ज़रिए पृथ्वी के वायुमंडलीय और खगोलीय बदलावों को मॉडल किया गया, ताकि यह समझा जा सके कि सूरज की ऊर्जा में बदलाव पृथ्वी के वातावरण को कैसे प्रभावित करेगा।

 सूर्य बनेगा वजह जीवन के अंत की
जैसे-जैसे सूर्य की उम्र बढ़ेगी, वह और ज्यादा गर्म और तेज चमकदार होता जाएगा। इस कारण:

पृथ्वी का सतही तापमान बढ़ेगा
महासागरों का पानी वाष्पित होगा
वायुमंडलीय नमी और कार्बन चक्र प्रभावित होंगे
पौधे, जो ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत हैं, धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे
जब पौधे नहीं बचेंगे, तो ऑक्सीजन भी नहीं बचेगी।

जिंदगी की उलटी गिनती शुरू?
वैज्ञानिकों का आकलन है कि साल 999,999,996 तक पृथ्वी पर जीवन बेहद कठिन हो जाएगा और 1,000,002,021 तक जीवन पूरी तरह समाप्त हो सकता है। यह स्थिति सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि ज्यादातर ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिए भी घातक होगी।

 कौन बच पाएंगे इस संकट से?
जैविक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उस समय केवल वे ही जीव बच पाएंगे जो कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रहने में सक्षम हैं — जैसे कुछ विशेष प्रकार के सूक्ष्मजीव। पृथ्वी एक बार फिर अरबों साल पहले की तरह एक एनारोबिक (बिना ऑक्सीजन वाला) दुनिया बन जाएगी।

  क्या इसे रोका जा सकता है?
वैज्ञानिक इस बदलाव को अपरिहार्य मानते हैं, क्योंकि यह खगोलीय घटनाओं पर आधारित है, न कि मानवजनित प्रदूषण पर। लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर तकनीक तेजी से आगे बढ़े और मानवता समय रहते अंतरिक्ष में टिकाऊ समाधान तलाश ले, तो इस विनाश को टाला नहीं तो टाला जाने लायक बना सकती है।

 अभी घबराने की नहीं, सोचने की जरूरत
हालांकि यह समय लाखों-करोड़ों वर्षों दूर है, लेकिन यह रिसर्च हमें यह याद दिलाने के लिए काफी है कि हमारा ग्रह स्थायी नहीं है। इस धरती पर जीवन मिला है, यह एक अनमोल अवसर है — और इसे समझदारी से संजोना हमारी ज़िम्मेदारी है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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