'विपक्ष की मानसिकता वैसी ही काली है, जैसी..': निर्मला सीतारमण ने मणिपुर को लेकर साधा निशाना
punjabkesari.in Monday, Jul 31, 2023 - 09:30 PM (IST)

नेशनल डेस्कः मणिपुर की स्थिति पर चर्चा को लेकर राज्यसभा में जारी गतिरोध के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग करना 'गोलपोस्ट' बदलने जैसा है। पार्टी ने यह आरोप लगाया कि जब भी प्रधानमंत्री संसद में बोलते हैं तो विपक्षी सदस्य व्यवधान पैदा करते हैं।
विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दलों की मांग है कि मोदी संसद में मणिपुर पर बयान दें और फिर कार्य-स्थगन प्रस्ताव के जरिए दोनों सदनों में चर्चा हो। इसी मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही अब तक बाधित रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह स्पष्ट है कि विपक्ष राज्य की स्थिति पर 'घड़ियाली आंसू' बहा रहा है। उन्होंने कहा, "जब वह (मोदी) जवाब देने के लिए खड़े होते हैं तो वे क्या शोर और अशांति पैदा करते हैं। उनके पास उनकी बात सुनने का शिष्टाचार नहीं है। आज वे जोर दे रहे हैं। क्या विडंबना है।"
सत्तारूढ़ दल के उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने भी संसद की कार्यवाही लगातार बाधित होने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष को डर है कि चर्चा के दौरान उसका पर्दाफाश हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बहस होगी तो राज्य और केंद्र में कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान की खराब स्थिति को उजागर किया जाएगा और भाजपा के सत्ता में आने के बाद चीजें कैसे बदल गईं, यह भी बताया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्ष पर मणिपुर में जातीय हिंसा पर संसद में बहस से भागने का आरोप लगाया और आश्चर्य जताया कि अगर वे सड़कों पर मुद्दे उठाना चाहते हैं तो संसद सदस्य के रूप में निर्वाचित होने का क्या फायदा है। मोदी के बयान की मांग को लेकर विपक्ष की आलोचना करते हुए सीतारमण ने कहा, "आप यह क्यों मानना चाहते हैं कि सब कुछ आपकी मांगों के अनुसार शुरू और समाप्त होना चाहिए? क्या आप मणिपुर के बारे में चिंतित हैं या आप राजनीति कर रहे हैं?"
सीतारमण ने विपक्षी दलों से कहा कि वे संसद को बताएं कि उन्होंने हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य के अपने हालिया दौरे के दौरान क्या सुना। उन्होंने कहा कि वे 'गोलपोस्ट' बदल रहे हैं। उन्होंने विपक्षी सदस्यों की आलोचना करते हुए कहा कि विरोध में उन्होंने जो काली शर्ट पहनी थी, उसी तरह उनके इरादे भी काले हैं। उन्होंने कहा कि जब केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी तब मणिपुर में करीब एक साल तक नाकेबंदी रही और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई।
सीतारमण ने कहा, "क्या तब कोई गृह मंत्री मणिपुर गया था? हमारे गृह मंत्री अमित शाह वहां तीन दिनों तक रहे। उन्होंने राहत शिविरों का दौरा किया, लोगों से बात की और यह सुनिश्चित किया कि हर राहत प्रदान की जाए।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग शासन के दौरान केवल एक तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कुछ समय के लिए राज्य का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि जॉन ब्रिटास, मनोज कुमार झा और ए डी सिंह समेत कई विपक्षी सदस्यों को राज्यसभा में होने वाली चर्चा में प्रतिभागियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
गोयल ने कहा कि सरकार मानसून सत्र के पहले दिन से ही चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर कब चर्चा होनी है, यह तय करना लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और जब भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, सरकार तैयार है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया है कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद पारित सभी विधेयक ‘संवैधानिक रूप से संदिग्ध' हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने यह भी कहा कि लोकसभा में पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 10 दिन की अवधि का इस्तेमाल विधेयकों को ‘तेजी से पारित' करने के लिए नहीं किया जा सकता। कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी उनके विचारों का समर्थन किया है। ठाकुर ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "गर आपको सड़कों पर मुद्दे उठाने हैं तो सदन के लिए चुने जाने का क्या फायदा है।" उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए तैयार है।