सर्वदलीय बेठक : विपक्ष ने मणिपुर स्थिति पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की, सरकार चर्चा को राजी
punjabkesari.in Wednesday, Jul 19, 2023 - 06:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: संसद के 20 जुलाई से प्रारंभ होने वाले मानसून सत्र से पहले बुधवार को विपक्षी दलों ने मणिपुर की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग करते हुए ओडिशा रेल हादसे, भारत-चीन सीमा स्थिति, महंगाई, संघीय ढांचे पर प्रहार जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने एवं महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने कहा। मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मणिपुर की स्थिति के बारे में चर्चा कराने की विभिन्न दलों की मांग पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है तथा आसन की अनुमति एवं संबंधित नियमों के तहत सदन में इस विषय पर चर्चा करायी जा सकती है।
राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल समेत ये नेता हुए शामिल
सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने कहा कि अगर सरकार सदन चलाना चाहती है तो उसे विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए। संसद के बृहस्पतिवार से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में सुचारू कामकाज के लिए चर्चा करने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में दोनों सदनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भाग लिया। संसदीय ग्रंथालय भवन में हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अलावा कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, अधीर रंजन चौधरी आदि शामिल हुए। बैठक में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर आदि ने भी भाग लिया।
प्रधानमंत्री सदन में आएं और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा हो
सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ बैठक में हमने संसद के मानसून सत्र के दौरान मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा हो।'' चौधरी ने कहा, ‘‘ मैंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में हिस्सा लिया और उन सभी मुद्दों को उठाया जिन पर चर्चा करने की जरूरत है। सर्वदलीय बैठक में भी मैंने इन मुद्दों को उठाया। हमारी मांग है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा जरूर होनी चाहिए।''
महंगाई, ओडिशा रेल हादसे समेत इन मुद्दों पर चर्चा की मांग
लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा, ‘‘ दो महीने गुजर गए लेकिन प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) चुप हैं। मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि उन्हें संसद में बयान देना चाहिए और चर्चा करानी चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘ हम कल कार्यस्थगन प्रस्ताव (चर्चा कराने के लिए) लाना चाहते हैं क्योंकि मणिपुर की स्थिति खराब हो रही है।'' चौधरी ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को हमारे दिल की बात सुननी चाहिए और विपक्ष को बोलने का मौका देना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने चीन से लगने वाली सीमा पर स्थिति, महंगाई, ओडिशा रेल हादसे, बेरोजगारी, संघीय ढांचे पर प्रहार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने मांग की है कि भारत-चीन सीमा मुद्दे और कारोबार असंतुलन पर भी चर्चा करायी जानी चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘ ताली एक हाथ से नहीं बजती। अगर सरकार सदन में कामकाज चलाना चाहती है तो उसे विपक्ष को मुद्दे उठाने और अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए। '' बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ने महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग की जिसे कई दलों का समर्थन मिला जिनमें वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति और वाम दल शामिल हैं। पात्रा ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार की योजना के तहत गरीबों के लिए लंबित सात लाख से अधिक मकान के निर्माण तथा संविधान की आठवीं अनुसूचि में ‘हो', ‘मुंदारी' और ‘भूमिज' को शामिल किये जाने की मांग भी रखी।
दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं
शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने संवाददाताओं से कहा कि लोगों का पैसा बर्बाद नहीं होना चाहिए और सदन में कामकाज चलना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गयी कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में चर्चा को तैयार है। संसद के सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाने की परंपरा रही है, जिसमें विभिन्न दल अपने मुद्दों को रखते हैं। इस बैठक में सरकार के वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को होगी। सत्र 11 अगस्त तक चलना प्रस्तावित है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं।