''अधर्म के नाश के लिए था ऑपरेशन सिंदूर'', राम मंदिर की दूसरी वर्षगांठ पर बोले रक्षा मंत्री
punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 06:35 PM (IST)
नेशनल डेस्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को राम मंदिर आंदोलन को एक ‘‘महान इतिहास'' बताया जिसने भविष्य की नींव रखी। उन्होंने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में भगवान राम के आदर्शों के अनुसार कार्य किया। सिंह यहां राम मंदिर परिसर में अन्नपूर्णा मंदिर में धर्म ध्वजा फहराने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे और रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित प्रार्थनाओं में शामिल हुए। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा सनातन परंपराओं को मिटाने के बार-बार किए गए प्रयासों के बावजूद, राम मंदिर के ऊपर लहराता हुआ भगवा ध्वज सभ्यतागत निरंतरता का संदेश देता है। रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने भगवान राम के आदर्शों के अनुसार कार्य किया है। उन्होंने कहा, ‘‘राम विनम्र हैं। राम गुणी हैं। राम दयालु हैं। लेकिन जहां आवश्यकता पड़ती है... वहां रामजी दुष्टों के संहारक की भूमिका निभाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, हमने भगवान राम की उसी प्रेरणा से काम किया।'' भारत ने 22 अप्रैल पर कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किये गए हमले के जवाब में छह मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के नाम से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर सैन्य कार्रवाई की जिनमें कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद, भारत ने कई महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ ऑपरेशन ‘सिंदूर' के दौरान भारत ने भी, भगवान राम के इसी मर्यादा का पालन किया। जैसे राम का लक्ष्य रावण का संहार नहीं, बल्कि अधर्म का अंत था। हमारा भी वही लक्ष्य था, कि हम आतंकियों और उनके आकाओं को सबक सिखा कर आएंगे और हमने बस वही किया।'' उन्होंने कहा कि भगवान राम महज एक पात्र या धर्मग्रंथ का एक अध्याय नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत नैतिक शक्ति हैं जो नैतिक दुविधा, संयम और कर्तव्य के क्षणों में समाज का मार्गदर्शन करते हैं। सिंह ने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन भौगोलिक दृष्टि से और समय के लिहाज से ‘‘दुनिया के सबसे बड़े आंदोलनों में से एक'' था। राम मंदिर आंदोलन के उथल-पुथल भरे चरणों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम का नाम लेने के कारण संतों, ऋषियों और भक्तों को गोलियों, गिरफ्तारियों और दमन का सामना करना पड़ा था। सिंह ने कहा, ‘‘इतिहास गवाह है कि समय सभी को न्याय दिलाता है। राम और धर्म के साथ खड़े रहने वाले लोग आज भी राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं, जबकि आस्था के मार्ग में बाधा डालने वाले पीछे छूट गए हैं।'' इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे। सिंह ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ को गहन आध्यात्मिक संतुष्टि का क्षण बताया और कहा कि भगवान राम को उनके दिव्य मंदिर में विराजमान देखना जीवन भर की उपलब्धि जैसा लगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी सामाजिक आंदोलन अचानक शून्य से जन्म नहीं लेता। यह समाज की चेतना से उभरता है, समाज के भीतर विकसित होता है और समाज में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को बदलते हुए आकार लेता है। जब आंदोलन आगे बढ़ता है, तो यह समाज की दिशा निर्धारित करता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर निर्माण आंदोलन भी एक ऐसा आंदोलन रहा है, जिसने न केवल इतिहास को झकझोर दिया, बल्कि वर्तमान को दिशा दी और भविष्य की नींव रखी। यह संघर्ष एक दिन का नहीं था। यह धैर्य, तपस्या और आस्था का संघर्ष था जो पांच शताब्दियों से अधिक समय तक चला।'' सिंह ने कहा कि उन्हें इस अवसर पर उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि सदियों के इंतजार के बाद, भगवान राम को दो साल पहले उनके मंदिर में स्थापित किया गया था और अब वे न केवल अयोध्या बल्कि अपनी दिव्य उपस्थिति से पूरे विश्व को प्रकाशित कर रहे हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘आज अयोध्या की हर गली और हर चौराहा राममय है।''उन्होंने कहा कि हर्ष की यह भावना पवित्र शहर से परे पूरे देश और दुनिया भर के उन सभी लोगों तक फैली हुई है जो भगवान राम के आदर्शों में विश्वास करते हैं और उनके अनुसार जीवन जीते हैं। रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘दो साल पहले हुआ प्राण प्रतिष्ठा समारोह केवल रामलला के विग्रह का प्राण प्रतिष्ठा नहीं था। यह लंबे समय बाद भारतीय लोगों के दिलों और दिमागों में हुई एक आध्यात्मिक जागृति थी।'' उन्होंने कहा कि राम मंदिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस दृष्टिकोण का प्रतीक है कि आज उठाए गए कदम अगले हजार वर्षों की नींव रखेंगे। रक्षामंत्री ने वर्तमान पीढ़ी को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि सदियों लंबे संघर्ष की परिणति को देखना एक दुर्लभ सौभाग्य है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी के लिए सबसे बड़ी संतुष्टि यही होगी कि हमने भगवान राम को अयोध्या में विराजमान देखा।''

सिंह ने कहा कि अयोध्या ‘‘डबल इंजन वाली सरकार'' के निरंतर नेतृत्व में अभूतपूर्व परिवर्तन का गवाह बन रही है, जहां आस्था और परंपरा को संरक्षित करते हुए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने शहर को धार्मिक पर्यटन का एक वैश्विक केंद्र बना दिया है, जो न केवल अयोध्या के विकास को बल्कि भारत के सभ्यतागत गौरव को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने हिंदू माह पौष के शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि (द्वादशी) को, 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया था। इस वर्ष पौष माह की द्वादशी 31 दिसंबर को है।
