संसद ने ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पारित किया, जानें प्रमुख प्रावधान और कानून के उद्देश्य
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 05:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क : विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के बीच राज्यसभा ने गुरुवार को ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और नियमन विधेयक को मंजूरी दे दी। लोकसभा द्वारा पहले ही पारित इस विधेयक को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विचार और पारित करने के लिए पेश किया। वैष्णव ने इस विधेयक को तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र को विनियमित करने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और धन-आधारित गेमिंग से जुड़े खतरों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
इस विधेयक का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को बढ़ावा देना और विनियमित करना, इस क्षेत्र की निगरानी के लिए एक नियामक ढांचा विकसित करना तथा युवाओं और कमजोर वर्ग को इन खेलों के प्रतिकूल सामाजिक, आर्थिक, मानसिक और गोपनीयता संबंधी प्रभावों से बचाना है।
विधेयक क्या-क्या कवर करता है?
यह विधेयक पूरे भारत में लागू होगा और देश के बाहर से संचालित लेकिन देश के भीतर उपलब्ध ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं पर भी लागू होगा। यह ऑनलाइन गेमिंग को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है:
ई-स्पोर्ट्स
ऑनलाइन सोशल गेमिंग
ऑनलाइन मनी गेमिंग
इन पहलुओं पर चर्चा करते हुए वैष्णव ने कहा, "ऑनलाइन गेमिंग डिजिटल दुनिया में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। इसके तीन खंड हैं – पहला खंड ई-स्पोर्ट्स है, जिसमें टीम बनाकर खेला जाता है, समन्वय और रणनीतिक सोच विकसित होती है। हमारे खिलाड़ियों ने कई पदक भी जीते हैं। इस विधेयक में ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा, इसके लिए एक प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा और इसे कानूनी मान्यता मिलेगी। दूसरा ऑनलाइन सोशल गेम्स है, जिनमें सॉलिटेयर, शतरंज, सूडोकू जैसे खेल आते हैं। इन खेलों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा और इनके लिए प्राधिकरण बनाया जाएगा।"
हालांकि, मंत्री ने चेतावनी दी कि 'ऑनलाइन मनी गेम' एक 'सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम' बन चुका है।
ई-स्पोर्ट्स क्या है?
विधेयक में ई-स्पोर्ट्स को ऐसे ऑनलाइन खेल के रूप में परिभाषित किया गया है जो:
बहु-खेल आयोजनों का हिस्सा होता है,
पूर्वनिर्धारित नियमों वाले प्रतिस्पर्धात्मक मल्टीप्लेयर प्रारूप शामिल करता है,
राष्ट्रीय खेल प्रशासन ढांचे के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है,
परिणाम कौशल, निपुणता, चपलता और रणनीतिक सोच पर आधारित होते हैं,
इसमें भागीदारी शुल्क और पुरस्कार राशि हो सकती है,
इसमें सट्टेबाजी या दांव शामिल नहीं हैं।
सरकार ई-स्पोर्ट्स को प्रतिस्पर्धात्मक खेल के वैध रूप के रूप में मान्यता देगी और इसके पंजीकरण के लिए कदम उठाएगी। इसमें आयोजनों, प्रशिक्षण अकादमियों, अनुसंधान केंद्रों, सार्वजनिक अभियानों और व्यापक खेल नीतियों के लिए दिशानिर्देश शामिल होंगे।
पैसे से जुड़ी समस्या
वैष्णव ने कहा, "पैसे से जुआ खेलना एक बड़ी समस्या है।"
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग ने समाज में, खासकर मध्यम वर्ग के युवाओं में, गंभीर समस्या पैदा कर दी है। इसकी लत लग जाती है और परिवार की जमा पूंजी बर्बाद हो जाती है। अनुमान है कि लगभग 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इस समस्या में गंवाई जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे गेमिंग विकार घोषित किया है।
ऑनलाइन पैसे से जुआ खेलना जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन गया है। इससे मनोवैज्ञानिक विकार, बाध्यकारी व्यवहार और हिंसक प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं। इसके कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं। यह समस्या मनी लॉन्ड्रिंग तक जुड़ी हुई है और आतंकवादी गतिविधियों में भी इसका उपयोग देखा गया है। इस समस्या को रोकने के प्रयास हुए, लेकिन यह बढ़ती ही गई।
विधेयक ऑनलाइन पैसे से खेले जाने वाले खेलों, उनकी सेवाओं की पेशकश या प्रचार और ऐसे प्लेटफॉर्म पर होने वाले वित्तीय लेन-देन पर भी रोक लगाता है।
ऑनलाइन सोशल गेम्स क्या हैं?
"ऑनलाइन सोशल गेम" को ऐसे डिजिटल खेल के रूप में परिभाषित किया गया है जो मनोरंजन या कौशल विकास के लिए खेले जाते हैं और जिनमें दांव, सट्टेबाजी या मौद्रिक लाभ शामिल नहीं होता। ऐसे खेलों के लिए सदस्यता या एक्सेस शुल्क हो सकता है, लेकिन ये केवल मनोरंजन के उद्देश्य से होते हैं और इन्हें ऑनलाइन मनी गेम्स या ई-स्पोर्ट्स की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
ऑनलाइन मनी गेमिंग खेलने पर दंड
विधेयक उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड निर्धारित करता है:
मनी गेमिंग सेवाएं प्रदान करने पर 3 वर्ष तक का कारावास, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।
मनी गेमिंग को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन पर 2 वर्ष तक का कारावास, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।
लेनदेन में सहायता करने वाले वित्तीय संस्थान को 3 वर्ष तक का कारावास, 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।
बार-बार अपराध करने पर न्यूनतम 3 वर्ष की कैद और 1 करोड़ से 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
विज्ञापन नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 2-3 वर्ष की कैद और 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
इसके अतिरिक्त, सरकारी या प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना, पंजीकरण निलंबित या रद्द किया जा सकता है, और ऐसे खेलों की पेशकश या प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।