ऑफ द रिकार्ड: कांग्रेस को मिले नए सहयोगी दल, भाजपा ने अपने अधिकांश खोए

punjabkesari.in Sunday, May 05, 2019 - 04:59 AM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनावों के लिए 4 चरणों का मतदान खत्म हो चुका है और भाजपा तथा कांग्रेस नए मित्रों को लुभाने के लिए ‘जी-तोड़’ कोशिशें कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर भाजपा ने हाल ही में राजस्थान लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को अपने साथ मिलाया और उन्हें एक टिकट दिया। भाजपा ने गुज्जर नेता किरोड़ी लाल बैंसला को भी साथ मिला लिया और उनको अपनी पसंद का एक टिकट दिया, यद्यपि उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ेगा। 
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भाजपा उच्च कमान के लिए राजस्थान में निराशा स्पष्ट दिखाई देती है क्योंकि पिछले साल विधानसभा चुनावों में पार्टी ने सत्ता खो दी थी और ऐसी खबरें हैं कि उसके गढ़ में भाजपा के लिए सब कुछ अच्छा नहीं जहां उसने पिछले चुनावों में लोकसभा की सभी 25 सीटें जीती थीं। वास्तव में भाजपा ने लोकसभा की 543 सीटों में से 105 सीटें सहयोगी दलों को देने को मंजूरी दी है और खुद 438 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसका मकसद तमिलनाडु में अपने पैर जमाना है जहां भाजपा ने अन्नाद्रमुक और 5 अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन किया है। 
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तमिलनाडु में यद्यपि उसका एक निवर्तमान सांसद है और वह अपना मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही थी मगर उसने यह योजना छोड़ दी और इन पार्टियों का पिछले दरवाजे से समर्थन कर राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने का फैसला किया है। भाजपा ने केरल में 2 दलों को साथ लिया और उसे तिरुवनंतपुरम सीट जीतने की उम्मीद है। अगर 2014 में भाजपा के 42 सहयोगी दल थे तो 2019 में पार्टी के प्रमुख राज्यों में 19 घटक दल और 9 छोटे राज्य दल उनके साथ हैं। रोचक बात यह है कि भाजपा शिवसेना, जद (यू) और उत्तर प्रदेश में अपना दल जैसे अपने सहयोगियों का खर्च भी उठा रही है। 
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इसके विपरीत कांग्रेस के 2014 में 14 घटक दल सहयोगी थे और उनमें से अधिकांश उसको छोड़ कर चले गए मगर कांग्रेस ने और मित्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत की और अब यह तालिका 2019 में बढ़ कर 30 तक पहुंच गई। उदाहरण के तौर पर केरल में भाकपा और माकपा बेशक कांग्रेस के विरोध में हैं मगर दोनों पार्टियां ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उसकी सहयोगी हैं। पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस ने 2 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए ताकि वहां से माकपा के उम्मीदवार जीत सकें। कांग्रेस ने अपने साथ नैशनल कांफ्रैंस को भी जोड़ लिया है और महाराष्ट्र में भी कुछ नए सहयोगी दल उसके सहयोगी बने हैं।


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Pardeep

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