ऑफ द रिकॉर्डः नीतीश की ‘सुशासन बाबू’ की टैगलाइन हुई पुरानी

punjabkesari.in Wednesday, Apr 20, 2022 - 07:11 AM (IST)

नेशनल डेस्कः पिछले महीने लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से नजरअंदाज किया था, उसने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया। मंच पर मोदी के सामने नीतीश किसी जापानी की तरह झुके, लेकिन पी.एम. मोदी ने उनके अभिवादन का जवाब नहीं दिया। 

दरअसल भाजपा लंबे समय से नीतीश कुमार की शासन शैली से बेहद नाखुश है क्योंकि उनका मानना है कि नीतीश अभिमानी, अनुपलब्ध और अपनी मर्जी के मालिक बन गए हैं। नीतीश की ‘सुशासन बाबू’ की टैगलाइन पुरानी पड़ चुकी है।

बिहार में नीतीश की शराब नीति और कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर उथल-पुथल देखी जा रही है। अदालतों द्वारा कई प्रतिकूल टिप्पणियों और फैसलों के बाद नीतीश कुमार शराब कानून में संशोधन करने के लिए सहमत हुए। विधानसभा में भाजपा के नामित स्पीकर से नीतीश की तकरार ने भी दोनों सहयोगियों में दूरियां पैदा कीं। 

भाजपा में नीतीश कुमार के करीबी सुशील मोदी को पहले ही राज्यसभा भेजा जा चुका है और सख्त मिजाज डा. संजय जायसवाल को बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। जायसवाल आज भाजपा के उभरते सितारे हैं। बिहार के हालात को भांपते हुए भाजपा के कई केंद्रीय नेता राज्य में जाकर पार्टी के लिए काम करने को बेताब हैं। कारण-वे खुद को बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखते हैं क्योंकि भाजपा अब नीतीश कुमार के खिलाफ तख्तापलट की योजना बना रही है। 

रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह और बिजली मंत्री आर.के. सिंह बिहार से भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 अन्य कैबिनेट मंत्री हैं। जहां आर.के. सिंह दिल्ली में रह कर खुश हैं, वहीं गिरिराज सिंह को अब पार्टी को समय देने की इच्छा व्यक्त करते हुए सुना गया।

उनका मानना है कि भाजपा के वोट बैंक को मौजूदा 19.46 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी से ज्यादा किया जा सकता हैं। उन्हें भूमिहार नेता कहा जाता है और वह इस जाति के टैग को हटाना चाहते हैं। राधा मोहन सिंह और राजीव प्रताप रूडी भी कतार में हैं।


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Pardeep

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