ऑफ द रिकॉर्ड: कर्पूरी ठाकुर की मौत व योग चिकित्सा

punjabkesari.in Monday, Jun 17, 2019 - 08:21 AM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे बेहद ईमानदार व गरीबों के हितचिंतक कर्पूरी ठाकुर की मौत 17 फरवरी 1988 को जिस स्थिति में हुई उसके कारण ज्यादातर समाजवादी नेता आज भी योग चिकित्सा और योग प्रोपेगंडा को दूर से ही प्रणाम कर लेते हैं। इस बारे में पूर्व सांसद व गांधीवादी नेता रामजीभाई का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर को हृदय रोग था। उनका रक्तचाप अनियमित होता रहता था सो उन दिनों वह एक योग चिकित्सक अतुलानंद से अपने हृदय रोग व रक्तचाप का उपचार करवा रहे थे। 

अतुलानंद उनका उपचार सांख्य योग क्रिया, कुछ योग आसन आदि कराकर कर रहा था। कहा जाता है कि इस उपचार के दौरान अतुलानंद ने कर्पूरी ठाकुर को सेंधा नमक घोला हुआ 13 लीटर पानी पिला दिया जिसके कारण 16 फरवरी 1988 को उनकी हालत बहुत खराब हो गई और 17 फरवरी 1988 को देहावसान हो गया। उनका देहांत होते ही योगाचार्य अतुलानंद लापता हो गया। सहरसा का रहने वाला अतुलानंद कहां गया, 30 साल बीत जाने के बाद भी आज तक पता नहीं चला और न ही किसी ने इसकी जांच कराई। 

जबकि कर्पूरी ठाकुर की मौत के 4 दिन बाद ही सबसे पहले 22 फरवरी 1988 को तब के लोकदल के विधायक रघुवंश प्रसाद सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिख कर इसकी जांच कराने की मांग की थी। गाहे-बेगाहे भाजपा व अन्य दलों के नेता भी इसकी जांच कराने की मांग करते रहे हैं। इस तरह की और भी घटनाएं हैं इसलिए योग आसन, प्राणायाम आदि करते समय बहुत-सी बातों का ध्यान रखना, बहुत से नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी है। वर्ना जान जोखिम में पड़ जाएगी। 

इन दिनों 21 जून को योग दिवस के चक्कर में बहुत से लोग बिना पूरी बात बताए लिख व छाप रहे हैं कि फलां आसन करने से फलां रोग नहीं होगा, फलां रोग ठीक हो जाएगा लेकिन उसमें यह नहीं बताया जा रहा है कि इसके लिए क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिएं। किस व्यक्ति को करनी चाहिए, किसको नहीं करनी चाहिए। किसकी क्या बीमारी है तो कौन-सा आसन नहीं करना चाहिए। किस वातावरण में योग आसन, प्राणायाम करना चाहिए। शरीर को कैसे शुद्ध करने के बाद योग आसन करना चाहिए। किसी योग्य व अनुभवी योगाचार्य से ही योग आसन सीखना चाहिए।


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Pardeep

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