जब धुआं निगल जाएगा सूरज को! भारत-पाक परमाणु युद्ध से आएगा अंधेरा, शहर होंगे राख, तापमान लुढ़केगा 10 डिग्री नीचे
punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 09:19 AM (IST)

नई दिल्ली : कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भयावह आतंकी हमले ने दक्षिण एशिया को एक बार फिर संकट की ओर धकेल दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, और इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बेहद खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। कूटनीतिक रिश्तों में गिरावट, वीजा रद्दीकरण, जल संधियों पर टकराव और परमाणु युद्ध की धमकियों ने पूरे विश्व का ध्यान इस ओर खींच लिया है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए। भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती करते हुए भारतीय उच्चायुक्त को वापस बुला लिया और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए। यही नहीं, भारत ने सिंधु जल संधि को भी निलंबित करने का ऐलान कर दिया, जो दशकों से दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे का आधार रही है।
पाकिस्तान का पलटवार
भारत के कड़े फैसलों के जवाब में पाकिस्तान ने भी सख्त कदम उठाए। न केवल भारतीय नागरिकों के वीजा रद्द किए गए, बल्कि पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया है। सबसे तीखी प्रतिक्रिया सिंधु जल समझौते को लेकर सामने आई, जिसमें पाकिस्तान ने स्पष्ट कर दिया कि अगर भारत इस समझौते को तोड़ता है, तो इसे 'युद्ध की घोषणा' माना जाएगा। कई पाकिस्तानी मंत्रियों ने तो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी तक दे डाली है।
परमाणु युद्ध की आशंका और वैश्विक चिंता
भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। अगर दोनों के बीच पूर्ण युद्ध, खासकर परमाणु संघर्ष हुआ, तो इसके नतीजे बेहद विनाशकारी हो सकते हैं। वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों की एक 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, यदि दोनों देशों के पास मौजूद लगभग 300 परमाणु हथियारों में से आधे का भी इस्तेमाल हुआ, तो भारत और पाकिस्तान में 5 से 15 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। वहीं, वैश्विक स्तर पर एक से दो अरब लोगों की मृत्यु की आशंका जताई गई है।
जलवायु पर भयानक प्रभाव
परमाणु विस्फोटों से केवल जानमाल की हानि ही नहीं होगी, बल्कि जलवायु भी इसका शिकार बनेगी। रिपोर्टों के मुताबिक, अगर शहरों में आगजनी होती है, तो उठने वाला धुआं वातावरण में फैलकर सूर्य की रोशनी को बाधित करेगा। इससे वैश्विक तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट हो सकती है, जिससे ‘छोटे हिमयुग’ जैसे हालात बन सकते हैं। प्रोफेसर ब्रायन टून जैसे वायुमंडलीय वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा परमाणु युद्ध सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक तबाही लाएगा।
विश्व भर में चिंता और समर्थन
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस क्षेत्र पर टिक गई हैं। कई शक्तिशाली देश भारत के समर्थन में सामने आए हैं और आतंकवादी हमले की निंदा कर रहे हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र और शांति समर्थक संगठन इस उग्र स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की वकालत कर रहे हैं।
क्या वाकई युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं हालात?
भारत और पाकिस्तान भले ही ऐतिहासिक दुश्मन हों, लेकिन दोनों ही देश जानते हैं कि परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं है। दोनों ने अपनी सेनाओं को आधुनिक किया है, मिसाइलों से लेकर जंगी जहाजों तक उनके पास अत्याधुनिक संसाधन हैं, और दोनों सैन्य ताकत के लिहाज से दुनिया की शीर्ष 10 शक्तियों में गिने जाते हैं। लेकिन युद्ध की कीमत सिर्फ दुश्मन को नहीं, खुद को भी चुकानी पड़ती है-और परमाणु युद्ध की कीमत तो पूरी दुनिया को चुकानी होगी।