NPCI ने UPI चार्जबैक प्रोसेस के लिए जारी की नई गाइडलाइन, 15 फरवरी से लागू होगा नियम

punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2025 - 09:05 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत में डिजिटल भुगतान को और अधिक सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI ट्रांजैक्शन से जुड़े चार्जबैक प्रोसेस को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। यह नया नियम 15 फरवरी 2025 से लागू होगा और इसका उद्देश्य UPI ट्रांजैक्शन में विवादों को कम करना है।

चार्जबैक क्या होता है?
चार्जबैक एक प्रक्रिया है, जिसमें किसी UPI ट्रांजैक्शन को विवादित मानकर बैंक से रिफंड की मांग की जाती है। यह आमतौर पर भेजने वाले बैंक द्वारा उठाई जाती है, इससे पहले कि रिसीविंग बैंक उस ट्रांजैक्शन की स्थिति पर कोई कार्रवाई कर सके। वर्तमान में, भेजने वाला बैंक ट्रांजैक्शन के उसी दिन (T+0) चार्जबैक रिक्वेस्ट कर सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया से रिसीविंग बैंक को ट्रांजैक्शन का समाधान करने का समय नहीं मिलता, जिससे कई बार अनावश्यक चार्जबैक विवाद उत्पन्न होते हैं।

कहां आती है समस्या?
जब भेजने वाला बैंक उसी दिन चार्जबैक उठाता है, तो रिसीविंग बैंक को रिटर्न प्रोसेस करने का समय नहीं मिल पाता। कई मामलों में, रिसीविंग बैंक पहले ही धनराशि लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका होता है, लेकिन चार्जबैक भी उठा लिया जाता है। यदि बैंक चार्जबैक की स्थिति नहीं देखता, तो चार्जबैक ऑटोमेटिकली स्वीकार हो जाता है, जिससे अनावश्यक विवाद उत्पन्न होते हैं और RBI पेनल्टी की संभावना बढ़ जाती है।

NPCI ने क्या समाधान निकाला है?
NPCI ने इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए चार्जबैक प्रोसेस को सुधारने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। अब अगर रिसीविंग बैंक ने पहले से रिटर्न प्रोसेस (TCC/RET) कर लिया है, तो चार्जबैक खुद-ब-खुद रिजेक्ट हो जाएगा। अगर चार्जबैक उठाने के बाद अगले सेटलमेंट साइकल में लाभार्थी बैंक द्वारा TCC/RET दर्ज किया जाता है, तो उसे ऑटोमेटिकली स्वीकार कर लिया जाएगा। यह नया प्रोसेस बल्क अपलोड विकल्प और UDIR not in front-end option पर लागू होगा, जिससे विवादों में कमी आएगी और प्रोसेस में सुधार होगा। 

क्या होगा फायदा?
इस नए सिस्टम के तहत चार्जबैक को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का अधिकार अब लाभार्थी बैंक के पास होगा। इससे विवादों में कमी आएगी, ऑटो चार्जबैक प्रोसेस में सुधार होगा, और मैन्युअल इंटरफेरेंस की जरूरत कम होगी। यह लाभार्थी बैंकों को विवादों को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद करेगा।

इसके अलावा, NPCI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जनवरी 2025 में UPI ने 16.99 अरब ट्रांजैक्शन के साथ 23.48 लाख करोड़ रुपये का नया रिकॉर्ड बनाया है, जो डिजिटल भुगतान की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।


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Content Editor

rajesh kumar

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