अब वेल में प्रदर्शन करने वाले सांसद होंगे निलंबित, लोकसभा स्पीकर ने लिया फैसला

punjabkesari.in Friday, Dec 21, 2018 - 07:23 PM (IST)

नेशनल डेस्कः लोकसभा और राज्यसभा में समय-समय पर सांसदों के द्वारा अपना विरोध प्रदर्शन करने कि लिए सदन के वेल में आने की लंबी परंपरा रही है। लेकिन इस अधिकार का कई बार इस तरह से इस्तेमाल किया जाता है, कि उससे सदन की कार्यवाही कभी आंशिक तो कभी पूरी तरह बाधित हो जाती है। लेकिन आगे से सदन में अब शायद ही ऐसा देखने को मिले, क्योंकि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन के वेल में आने वाले सांसदों को निलंबित करने का फैसला लिया है। इसके अलावा जो सांसद अपनी सीट पर खड़े होकर विरोध दर्ज कराएंगे, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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सदन की कार्यवाही होती है बाधित
इस बार शीतकालीन सत्र में भी विपक्ष के द्वारा राफेल विमान समझौते पर और सत्ता पक्ष के द्वारा राहुल गांधी से कथित गलतबयानी के लिए माफी मांगने की बात पर हंगामा हो रहा है। दोनों ही सदनों में बहुत कम हो सका है। इससे नाराज स्पीकर सुमित्रा महाजन ने यह फैसला लेने का निर्णय किया है। वहीं इस फैसले को लेकर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पीकर समक्ष की थी कि इस नियम को लाने का अधिकार अगली लोससभा के लिए सुरक्षित रख दिया जाए, लेकिन समिति ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया।

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भाजपा ने किया फैसले का स्वागत
लोकसाभा की कार्यवाही को सुधारने के लिए स्पीकर द्वारा बनाए गए इस नियम का भाजपा ने स्वागत किया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि सांसदों को वेल में आकर विरोध करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन कई बार इस अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा था। लेकिन इस नियम से सदन की उत्पादकता बढ़ेगी और जनहित के मुद्दे पर ज्यादा बहस हो सकेगी।

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हालांकि विपक्ष ने इस पर बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस पार्टी की सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि संसद की गरिमा बढ़ाने कि लिए जो भी कदम उठाए जाएं, वे उसका स्वागत करती हैं। लेकिन यह नियम ऐसे समय बनाया गया है, जब हम सरकार के खिलाफ राफेल मामले पर जेपीसी गठित करने की मांग कर रहे हैं। भाजपा को यह बात भी ध्यान में रखना चाहिए कि विपक्ष में रहते हुए उसने सदन की गरिमा गिराने का सबसे ज्यादा काम किया है।

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रंजीता ने कहा कि वे स्पीकर या उनके फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती हैं, लेकिन वे यह उम्मीद भी अवश्य करती हैं कि इन नियमों को सत्ता पक्ष और विपक्ष के ऊपर एक समान रूप से लागू किया जाएगा और इनमें कभी कोई भेदभाव नहीं होगा। 


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Yaspal

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