अब ड्रोन लड़ेगा टिड्डियों के खिलाफ लड़ाई, आसमान से करेगा उनका खात्मा

punjabkesari.in Thursday, May 28, 2020 - 03:24 PM (IST)

नेशनल डेसक: देश में टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने टिड्डियों पर नियंत्रण संबंधी कारर्वाई के लिए ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव को सशर्त मंजूरी प्रदान की है। कीटनाशकों के छिड़काव के लिए दो कम्पनियां तय की गई हैं। टिड्डियों के हमले की आशंका को देखते हुए बिहार सरकार ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है ।बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इसकी रोकथाम के लिए ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव की सलाह दी है। किसान भी संगठित तरीके से तेज आवाज़ कर टिड्डी दल को भगा सकते हैं। 

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इस बीच कृषि मंत्रालय ने टिड्डी नियंत्रण क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त 55 वाहनों की खरीद का आदेश दिया है। टिड्डी नियंत्रण संगठनों के पास कीटनाशकों का पर्याप्त भंडार (53,000 लीटर मैलाथियान) है। कृषि यांत्रिकीकरण पर उप-मिशन के तहत, राजस्थान के लिए 2.86 करोड़ रुपये की लागत से 800 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रे उपकरणों की सहायता स्वीकृत की गई है। इसके अलावा, वाहनों, ट्रैक्टरों को भाड़े पर लेने और कीटनाशकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये राजस्थान के लिए जारी किए गए हैं। वाहनों, छिड़काव उपकरणों, सेफ्टी यूनिफॉर्म, एंड्रॉइड एप्लिकेशन की खरीद और प्रशिक्षण के लिए 1.80 करोड़ रुपये गुजरात के लिए भी जारी किये गये हैं। 

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वर्ष 2019-20 के दौरान, देश में बड़े पैमाने पर टिड्डियों का हमला हुआ, जिसे सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। पिछले साल 21 मई से लेकर 17 फरवरी 2020 तक, कुल 4,03,488 हेक्टेयर क्षेत्र का उपचार किया गया और टिड्डियों को नियंत्रित किया गया । वर्ष 2019-20 के दौरान, राजस्थान के 11 जिलों के 3,93,933 हेक्टेयर क्षेत्र; गुजरात के 2 जिलों के 9,505 हेक्टेयर क्षेत्र और पंजाब के 1 जिले के 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नियंत्रण कार्य किए गए। टिड्डी एक सर्वाहारी और प्रवासी कीट है और इसमें सामूहिक रूप से सैकड़ों किलोमीटर उड़ने की क्षमता होती है। यह दो देशों की सीमाओं के आर-पार जाने वाला या ट्रांस-बॉडर्र कीट है और विशाल दल में फसल पर हमला करता है। अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में पाया जाने वाला यह कीट करीब 60 देशों में पाया जाता है और यह पृथ्वी की भू सतह के पांचवें हिस्से को कवर कर सकते हैं। डेजटर् लोकस्ट की विपत्ति विश्व की मानव आबादी के दसवें हिस्से की आर्थिक आजीविका के लिए खतरा बन सकती है। 

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ग्रीष्म मानसून सीजन के दौरान अफ्रीका / खाड़ी / दक्षिण पश्चिम एशिया से ये टिड्डी दल भारत में दाखिल होते हैं और वसंतकालीन प्रजनन के लिए ईरान, खाड़ी और अफ्रीकी देशों की ओर लौट जाते हैं। भारत में दो लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक रेगिस्तान क्षेत्र के अंतर्गत आता है। टिड्डी चेतावनी संगठन और भारत सरकार के 10 टिड्डी सकर्ल कार्यालय (एलसीओ) राजस्थान (जैसलमेर, बीकानेर, फलोदी, बाड़मेर, जालौर, चुरू, नागौर, सूरतगढ़) और गुजरात (पालमपुर और भुज) राज्य सरकारों के साथ समन्वय करते हुए रेगिस्तान में डेजटर् लोकस्ट के नियंत्रण, निगरानी, सर्वेक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।  
 


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vasudha

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