SC का ऐतिहासिक फैसला- अब ''कुशल श्रमिक'' की तरह मिलेगा दुर्घटना में दिव्यांग होने वाले बच्चों को मुआवजा

punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 12:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में बच्चों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि अगर किसी सड़क दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाता है तो मुआवजे की गिनती उसे एक कुशल श्रमिक मानकर की जाएगी। यह फैसला बच्चों को मिलने वाले मुआवजे की राशि को कई गुना बढ़ा देगा।

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क्या है सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश?

अब तक दुर्घटना में बच्चे की मौत या दिव्यांग होने पर 'काल्पनिक आय' (notional income) के आधार पर मुआवजा तय होता था, जो वर्तमान में 30,000 रुपये प्रति वर्ष है। सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के अनुसार:

  • अब आधार होगा कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन: बच्चे की आय की गणना उसके राज्य में एक कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के हिसाब से की जाएगी।

  • दस्तावेज पेश करने की जिम्मेदारी: दावेदार को न्यूनतम वेतन से जुड़े दस्तावेज न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) के सामने पेश करने होंगे। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है, तो यह जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी।

  • सख्त निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की प्रति देश के सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजने का निर्देश दिया है, ताकि इसका सख्ती से पालन हो सके।

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कैसे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा यह मामला?

यह मामला मध्य प्रदेश के इंदौर का है। 14 अक्टूबर 2012 को आठ साल का हितेश पटेल एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस दुर्घटना में वह 30% स्थायी रूप से दिव्यांग हो गया।

  • शुरुआती फैसला: मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने हितेश को 3.90 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।

  • हाई कोर्ट का फैसला: हितेश के परिवार ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद मुआवजे की राशि बढ़ाकर 8.65 लाख रुपये कर दी गई।

  • सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: इस फैसले से असंतुष्ट होकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुआवजे की राशि को 8.65 लाख रुपये से बढ़ाकर 35.90 लाख रुपये कर दिया। यह राशि हाई कोर्ट द्वारा तय की गई राशि से करीब चार गुना ज्यादा है।

अधिवक्ताओं का मानना है कि यह फैसला पूरे देश में चल रहे ऐसे हजारों मामलों पर बड़ा असर डालेगा और बच्चों को न्याय दिलाने में मददगार साबित होगा।


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News Editor

Radhika

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