अब मुर्दा भी हो जाएंगे जिंदा!

punjabkesari.in Friday, May 20, 2016 - 03:34 PM (IST)

रुद्रपुर : बहुत जल्द मुर्दा इंसान भी जिंदा हो जाएंगे, जी हां चौंकिए मत...मेडिकल साइंस में ऐसा चमत्कार करने की तैयारी हो चुकी है। इस पर डाक्टरों की टीम रिसर्च भी कर रही है और बहुत जल्द इसका ट्रायल होने वाला है। यह ट्रायल करने जा रहे हैं उत्तराखंड की औद्योगिक नगरी रुद्रपुर के आर्थोपेडिक सर्जन डा. हिमांशु बंसल।  
 
डा. बंसल बताते हैं कि कई बार हादसे या किसी अन्य कारण से इंसान का ब्रेन डेड हो जाता है जबकि शरीर के बाकी अंग सक्रिय रहते हैं। इस स्थिति में ब्रेन के स्टेम सैल काम करना बंद कर देते हैं। इस इंसान को क्लीनिकली डेड कहा जाता है। डा. बंसल कहते हैं कि दुनिया में ऐसे कई मामले मेडिकल साइंस में सामने आए हैं जब क्लीनिकली डेड इंसान फिर जिंदा हो गया। अमेरिका में तो हर साल इस संबंध में रिपोर्ट भी प्रकाशित होती रही है। डा. बंसल और उनकी टीम ऐसे 20 लोगों पर ट्रायल करने जा रही है। डा. बंसल 2005 से स्टेस सैल की लैबोरेटरी और क्लीनिकली रिसर्च कर रहे हैं।
 
दिमाग जिंदा करने के लिए प्रयुक्त स्टेम सैल भी मरीज का होगा
ब्रेन डैड रिवर्सल के लिए जो स्टेम सैल प्रयोग किया जाएगा वह भी उसी मरीज का ही होगा जोकि उसके शरीर के बाकी हिस्सों से लिया जाएगा। बाहर से कोई तत्व प्रयोग नहीं किया जाएगा। हमारे शरीर में कई ऐसी कोशिकाएं हैं जोकि इतनी सशक्त होती हैं वे मृत कोशिकाओं को सक्रिय कर सकती हैं। बस इन्हीं कोशिकाओं का प्रयोग दिमाग की परत की मृत कोशिकाओं को जिंदा करने के लिए किया जाएगा। इस बारे में एक न्यूरो सर्जन कहते हैं कि अगर ऐसा होता है तो यह मेडिकल साइंस में किसी क्रांति से कम नहीं होगा। 
 
 
ऐेसे जिंदा होगा क्लीनिकली डेड इंसान
ऐसे किसी भी प्रयोग के लिए ऐेसे क्लीनिकली डेड इंसान के शरीर की जरूरत जरूर होगी जिसके परिजन ऐसे प्रयोग के लिए राजी हो। फिर इस क्लीनिकली डेड शरीर से चर्बी और बोन मैरो को निकाला जाएगा। फिर उसे लैब में प्रोसेस करके उसमें मौजूद स्टेम सेल को संरक्षित किया जाएगा। इसके बाद शुरू होगा मुख्य ट्रीटमेंट। एक इंजेक्शन के माध्यम से इन स्टेम सेल को शरीर के अंदर भेजा जाएगा ताकि ये दिमाग को ऐसा वातावरण दे सकें कि उसकी मृत कोशिकाएं फिर से जीवित हो सकें। हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि यह प्रयोग सफल हो या न हो।
 
 
ये ऑप्शन होते हैं क्लीनिकली डेड मरीज के परिजन के पास
जब अस्पताल वाले किसी मरीज के परिजनों को बताते हैं कि आपका मरीज क्लीनिकली डेड हो चुका है तो परिजनों के पास कुल तीन या चार रास्ते ही बचते हैं। इनमें से एक रास्ता है कि मरीज के मृत शरीर का प्रयोग मेडिकल साइंस के प्रयोगों के लिए दान कर दिया जाए या फिर मरीज का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। इसके अलावा एक ऑप्शन मरीज को लंबे समय तक वेंटीलेटर पर रखने की है। 
 

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