इच्छा मृत्यु पर कोई आदेश नहीं, उच्चतम न्यायालय ने सरकार के इस पर विचार का विकल्प खुला रखा

punjabkesari.in Monday, Feb 15, 2016 - 10:24 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ‘पैसिव’ इच्छामृत्यु को कानूनी रूप देने की एक याचिका पर आदेश जारी करने से आज परहेज किया। गौरतलब है कि पैसिव इच्छामृत्यु के तहत जीवन रक्षक प्रणाली हटा दी जाती है और दवा बंद कर दी जाती है।   न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने कहा,‘‘पैसिव इच्छामृत्यु और ‘लिंविंग विल’ पर सरकार विचार कर रही है। 

 
हालांकि, हम स्पष्ट कर सकते हैं कि याचिका का लंबित होना प्राधिकार के फैसले की राह में नहीं आना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति शिव कीर्ति, न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की सदस्यता वाली पीठ ने कहा,‘‘फिलहाल हम कोई आदेश नहीं जारी कर रहे हैं।’’ हालांकि उन्होंने केंद्र के इस विचार से सहमति जताई कि अदालत को अगली सुनवाई जुलाई में रखनी चाहिए और तब तक संसद में एक चर्चा कराने की इजाजत देनी चाहिए जो जनता की अदालत है।’’  अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पीएस पटवालिया ने एनजीआे कॉमन कॉज और इसके अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिका का विरोध किया जिन्होंने कहा था कि एक कानून बनने तक न्यायालय को कम से कम ‘लिंविंग विल’ विषय पर विचार करना चाहिए और एक आदेश कर देना चाहिए।   
 
उन्होंने दलील दी कि चूंकि स्वास्थ्य मंत्रालय विधि आयोग की रिपोर्ट की पड़ताल कर रहा है जिसके बाद विधि मंत्रालय एक विधेयक का मसौदा बनाएगा। इसलिए शीर्ष न्यायालय को सुनवाई टाल देनी चाहिए और चर्चा होने देने के लिए जुलाई तक का इंतजार करना चाहिए। 

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