कनाडा खुफिया एजेंसी का खुलासाः निज्जर  हत्या में भारत की कोई साजिश नहीं, असली गुनहगार चीन ! ट्रूडो के साथ मिलकर रची साजिश

punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2025 - 02:28 PM (IST)

International Desk: हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने कनाडा और भारत के रिश्तों में गहरा तनाव पैदा कर दिया। हत्या के तुरंत बाद भारत पर आरोप लगाए गए, लेकिन कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने शुरुआती जांच में भारत की संलिप्तता का कोई प्रमाण नहीं पाया। इसके बावजूद खालिस्तानी गुटों ने इसे भारत विरोधी प्रोपगैंडा का हिस्सा बनाते हुए पूरी दुनिया में प्रचारित किया।  2023 में भारत ने G20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी और वैश्विक नेतृत्व दिखाकर अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत किया था।

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वहीं, कनाडा के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर चल रही चर्चा खालिस्तानी गुटों को परेशान कर रही थी। इस घटना ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया और दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित किया। हरदीप सिंह निज्जर , एक घोषित आतंकवादी और खालिस्तानी समर्थक नेता की हत्या ने कनाडा और भारत के संबंधों में तनाव ला दिया। हत्या के बाद भारत पर उंगली उठाने वाले आरोपों, खालिस्तानी गुटों की प्रोपगैंडा रणनीतियों, और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों ने इस घटना को और पेचीदा बना दिया। लेकिन असली सवाल अब भी बरकरार है कि निज्जर की हत्या से किसे फायदा हुआ?   

 

भारत पर आरोप कितने सटीक ?  
हत्या के तुरंत बाद भारत पर आरोप लगाए गए। यह आरोप एक पूर्वनिर्धारित राजनीतिक एजेंडे के तहत लगाए गए, जो मीडिया में आसानी से बेचा जा सकता था।   कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS  के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि शुरुआती जांच में भारत की संलिप्तता का कोई संकेत नहीं था।   अब तक की जांच में कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया, फिर भी भारत को दोषी ठहराने की कोशिशें जारी रहीं।  

 

 खालिस्तानी गुटों का प्रोपगैंडा  
हत्या के बाद खालिस्तानी गुटों ने भारत के खिलाफ़ एक सोची-समझी रणनीति के तहत आरोप लगाए।  हत्या के तुरंत बाद खालिस्तानी गुटों ने भारत के खिलाफ़ एक संगठित प्रोपगैंडा चलाया। उन्होंने इसे दुनिया भर में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और लोगों की सहानुभूति बटोरी। यह गुट अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत को बदनाम करने में जुट गए।   उनकी झूठी कहानियां और प्रचार ने वैश्विक मीडिया का ध्यान खींचा।   यह उनकी भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने का एक अवसर बन गया।  
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भारत-कनाडा संबंध और खालिस्तानी गुटों की चिंता  
2023 में, कनाडा ने अपनी इंडो-पैसिफिक नीति में भारत को अहम साझेदार के रूप में शामिल किया। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली की भारत यात्रा में  FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट)  पर भी चर्चा हुई। ये बातें खालिस्तानी गुटों को परेशान करने लगीं, क्योंकि इससे उनकी प्रासंगिकता पर असर पड़ सकता था।  

 

भारत की बढ़ती  वैश्विक साख और झूठा प्रोपगैंडा  
भारत 2023 में G20 शिखर सम्मेलन का मेजबान था। कोविड महामारी के दौरान वैश्विक नेतृत्व दिखाने वाले भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही थी।  भारत ग्लोबल साउथ का एक भरोसेमंद नेता  बनकर उभरा। ऐसे में यह कहना बचकाना होगा कि भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक जीत को दांव पर लगाएगा, सिर्फ़ एक घोषित आतंकवादी के लिए।  

 
चीन ने रची साजिश !
2023 की शुरुआत में, चीन अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना कर रहा था। महामारी से जुड़ी जिम्मेदारियां, मानवाधिकारों के उल्लंघन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव जैसे मुद्दों से उसकी छवि खराब हो रही थी। इन सबके बीच भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा, चीन के लिए नुकसानदायक  बन रही थी। चीन ने अपनी  आलोचनाओं से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए  भारत की छवि बिगाड़ने के लिए इस मुद्दे को हवा देने के लिए कनाडा का साथ दिया।

 
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हत्या के बाद बदलते हालात  
निज्जर की हत्या के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धक्का लगा। कनाडा-भारत संबंधों में दरार आई और चीन को इससे फायदा हुआ। यह साजिश चीन और खालिस्तानी गुटों के लिए फायदेमंद साबित हुई, जबकि भारत और कनाडा के संबंधों पर इसका बुरा असर पड़ा।  

 

खालिस्तानी गुटों और चीन की मिलीभगत  
खालिस्तानी गुटों की चीन से नज़दीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। चीनी सरकार ने खालिस्तानी गुटों का समर्थन किया है, चाहे वह  फेंटेनाइल ड्रग्स के व्यापार  में हो या  राजनीतिक लॉबिंग में। खालिस्तानी गुट चीन के प्रॉक्सी के रूप में काम करते हैं, खासतौर से कनाडा में।  


खालिस्तानी आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय पहचान  
निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी आंदोलन को वैश्विक सहानुभूति मिली। उनकी आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनने का मौका मिला और यह घटना उनकी विभाजनकारी सोच को बढ़ावा देने में मददगार साबित हुई।  
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ट्रूडो, खालिस्तानी-चीन जाल  
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अल्पकालिक राजनीतिक फायदे के लिए खालिस्तानी और चीनी गुटों के जाल में कदम रखा। इससे न सिर्फ कनाडा की छवि को नुकसान हुआ, बल्कि भारत-कनाडा व्यापारिक अवसर भी गंवाए गए।  

 
असली सवाल
असली सवाल यह है कि निज्जर की हत्या से असल में किसे फायदा हुआ तो जवाब है  चीन को, जिसने अपनी कमजोर छवि को बचाने का मौका पाया।   खालिस्तानी गुटों को, जिन्होंने अपनी प्रासंगिकता और समर्थन बढ़ाया।  भरत के खिलाफ ये साजिश साफ़ तौर पर सोच-समझकर रची गई, ताकि दोनों देशों के रिश्तों को कमजोर किया जा सके।


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Content Writer

Tanuja

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